Mutual Funds के रिस्क फैक्टर्स से ऐसे निपटें और वसूलें बड़ा मुनाफा, इन 4 बातों को भूलकर भी न करें इग्नोर
म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने जा रहे हैं और इसे फायदे का सौदा बनाना चाहते हैं तो 4 बातों को भूलकर भी इग्नोर न करें. यहां समझें इसके रिस्क फैक्टर्स से निपटने के तरीके ताकि बाद में कहीं भी पछतावे की गुंजाइश न रहे.
म्यूचुअल फंड्स (Mutual Funds) को निवेश के लिहाज से काफी अच्छा माना जाता है. इस स्कीम को मोटा मुनाफा देने वाली स्कीम माना जाता है. एक्सपर्ट्स लॉन्ग टर्म में म्यूचुअल फंड्स का रिटर्न करीब 12 फीसदी मानते हैं जो किसी अन्य स्कीम में नहीं मिलता. इसमें SIP (Systematic Investment Plan) के जरिए हर महीने एक निश्चित रकम इन्वेस्ट कर सकते हैं. अच्छी बात ये है कि आप बहुत छोटी रकम के साथ भी म्यूचुअल फंड्स में निवेश शुरू कर सकते हैं और जब चाहे इस रकम को आमदनी बढ़ने के साथ बढ़ा सकते हैं.
इन्हीं सब फीचर्स के चलते ये स्कीम तेजी से लोकप्रिय हुई है, लेकिन इसमें निवेश करने से पहले एक बात हम सबको नहीं भूलनी चाहिए, वो ये कि म्यूचुअल फंड्स मार्केट लिंक्ड स्कीम है, इसलिए इसमें रिटर्न मार्केट के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है. ये डायरेक्ट शेयर में पैसा लगाने की तुलना में कम जोखिमभरी है, लेकिन ये नहीं कहा जा सकता कि इस स्कीम में बिल्कुल जोखिम ही नहीं है. इसलिए अगर आप इस स्कीम में निवेश करने जा रहे हैं तो इसके रिस्क फैक्टर्स से निपटने के तरीकों को अच्छी तरह से समझ लें, ताकि बाद में आपको किसी तरह का पछतावा न हो.
फंड मैनेजर की मदद से कम करें जोखिम
इस मामले में फाइनेंशियल एक्सपर्ट दीप्ति भार्गव कहती हैं कि Mutual Funds को जोखिमभरा माना जाता है क्योंकि इसका रिटर्न शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से प्रभावित होता है. हालांकि रिटर्न का जोखिम इस पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह के शेयरों का चुनाव किया है. अगर आप लार्जकैप या ब्लूचिप फंड्स में पैसा लगा रहें हैं तो आपके लिए जोखिम कम होगा. वहीं स्मॉलकैप फंड्स में पैसा लगाने पर बढ़त में रिटर्न ज्यादा मिलेगा, लेकिन गिरावट में नुकसान की आशंका भी ज्यादा होगी. इस मामले में Fund Manager के अनुभव मददगार साबित होते हैं. वे इसके जोखिम को कम करने और निवेशकों को बेहतर रिटर्न के मौके बनाते हैं.
आर्थिक लक्ष्य के हिसाब से म्यूचुअल फंड चुनें
निवेश के लिए सही म्यूचुअल फंड का चुनाव बहुत जरूरी है. सही यानी वो म्यूचुअल फंड जो आपकी जरूरतों को पूरा कर सके. हर व्यक्ति को निवेश करने से पहले अपना आर्थिक लक्ष्य तय कर लेना चाहिए और इसके बाद ये तय करना चाहिए कि कौन सा म्यूचुअल फंड आपके लिए बेहतर साबित होगा. उपर्युक्त म्यूचुअल फंड चुनने के लिए सबसे पहले बेस्ट म्यूचुअल फंड की दावेदारी करने वाले शीर्ष दावेदारों की लिस्ट बनाएं. उनकी तुलना करें और देखें कि आपकी जरूरतों को काैन पूरा कर रहा है. आप चाहें तो आर्थिक सलाहकार की भी मदद ले सकते हैं.
एक्सपेंस रेश्यो जरूर देखें
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक्सपेंस रेश्यो जरूर देख लें. आमतौर पर आपको लगता होगा कि अगर किसी फंड का रिटर्न 15 फीसदी या 18 फीसदी है तो आपको भी निवेश करने पर उतना ही फायदा होगा. लेकिन ऐसा नहीं होता क्योंकि इसके बीच एक्सपेंस रेश्यो आ जाता है. आपके म्यूचुअल फंड को मैनेजमेंट का जो भी खर्च आता है उसे एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता है. किसी भी फंड का एक्सपेंस रेश्यो ही ये तय करता है कि आपको कोई फंड कितना सस्ता मिलेगा. एक्सपेंस रेश्यो कम या ज्यादा होने का असर आपके रिटर्न पर भी पड़ता है.
महंगाई का जोखिम
म्यूचुअल फंड पर महंगाई का जोखिम भी होता है क्योंकि इसमें लंबे समय के लिए निवेश किया जाता है. हालांकि आपको इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यहीं पर आपके फंड मैनेजर का अनुभव भी काम करता है. फंड मैनेजर फंड्स के रिटर्न को ऐसे स्तर तक बनाए रखने की कोशिश करते हैं जिससे महंगाई के असर के बाद भी मुनाफा बेहतर हो.
(डिस्क्लेमर: म्यूचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन हैं. निवेश से पहले स्वयं पड़ताल कर लें या अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें.)