आजकल बेहतर नौकरी और बढ़ी हुई तनख्वाह के कारण ज्यादा युवा पेशेवर 30-40 की उम्र में ही होम लोन की मदद से घर खरीद लेते हैं. अगर किसी वजह से आप ऐसा न कर पाए हों और उम्र 40 के पार हो गई हो तो भी चिंता की कोई बात नहीं है. अभी तक आप अपने करियर में ऊपर पहुंच गए होंगे और सैलरी भी अधिक होगी. इसलिए आप घर खरीदने की प्लानिंग आसानी से कर सकते हैं, हालांकि दिक्कत ये है कि अब आपके रिटायरमेंट की उम्र भी नजदीक है और इसबीच आपको पेंशन, बच्चों की पढ़ाई-शादी का इंतजाम भी करना है. माता-पिता की देखरेख की जिम्मेदारी भी आप पर हो सकती है.

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इसलिए इस समय होम लोन लेते समय इन जिम्मेदारियों को ध्यान में रखना जरूरी है. आपको रिटायरमेंट तक अपने होम लोन की किस्त चुकानी होगी. यानी आपके पास 15-20 साल का समय ही होगा. ऐसे में ईएमआई अधिक होगी. ऐसे में हो सकता है कि घर खरीदना आपको कठिन लगे, लेकिन आप एचडीएफसी बैंक की इन सलाह को ध्यान में रखकर घर खरीदने का सपना पूरा कर सकते हैं- 

लोन की अवधि को अधिक से अधिक करिए

वैसे तो 40 के पास होम लोन लेने पर कर्ज चुकाने की अवधि कम होती है लेकिन अगर आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है और आपके रोजगार में एक किस्म का स्थायित्व रहा है तो आप होम लोन देने वाले को लंबी अवधि के लिए कर्ज देने पर राजी कर सकते हैं.

ज्वाइंट होम लोन लीजिए

वर्किंग पत्नी या बड़े बच्चे के साथ ज्वाइंट होम लोन लीजिए. ऐसे में आपके रिटायरमेंट के बाद उनकी आय जारी रहेगी और आपको लंबी अवधि के लिए होम लोन मिल जाएगा. ऐसा करके आप ज्यादा एमाउंट का होम लोन ले सकते हैं और आपको कर्ज चुकाने के लिए अधिक समय भी मिल जाएगा. इससे आपको किस्त कम देनी होगी.

अधिक से अधिक डाउन पेमेंट कीजिए

आप अधिक हाउनपेमेंट करके रिपेमेंट एमाउंट को कम कर सकते हैं. ऐसे में आपको ब्याज कम देना होगा और साथ ही किस्त भी कम हो जाएगी. हालांकि इस बात का ध्यान रखिए कि अधिक डाउनपेमेंट करने के चक्कर में कहीं आप पर ज्यादा बोझ न पड़ जाए.

रिटायरमेंट से पहले कीजिए पूरा पेमेंट

कोशिश कीजिए रिटायरमेंट साथ ही लोन की पूरी अदायगी हो जाए. ऐसा होने पर रिटायरमेंट के बाद आप पर लोन चुकाने का बोझ नहीं होगा. इसके लिए बोनस, ग्रेच्युटी का इस्तेमाल कर सकते हैं. अचानक कहीं से ठीक एकाउंट में पैसा आ जाए तो उसे लोन एकाउंट में डाल दें.

लोन लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च कीजिए

बाजार में इस समय कई लोन देने वाले हैं. लोन लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च जरूरी है. इसके लिए आपको कई पैरामीटर पर लोन ऑफर की परख करनी चाहिए. सिर्फ ब्याज दर पर ध्यान न दीजिए. कर्जदाता की रेपोटेशन, क्रेडिबिलिटी, कर्ज चुकाने को लेकर फ्लैक्सबिलिटी भी महत्वपूर्ण है. ऐसे कर्जदाता का चुनाव कीजिए, जहां पेपरवर्क और फॉरमेल्टीज कम से कम हो.