घरेलू वाहन विनिर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा (एमएंडएम) पर उसके दोपहिया कारोबार के संबंध में इनपुट टैक्स क्रेडिट दावे और शिक्षा उपकर क्रेडिट बैलेंस को जीएसटी-पूर्व दौर से जीएसटी प्रणाली में लाने पर 4.12 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. कंपनी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. एमएंडएम ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि कंपनी को मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित कार्यालय उपायुक्त (राज्य कर) से महिंद्रा टू-व्हीलर्स लिमिटेड (एमटीडब्ल्यूएल) के दोपहिया वाहन कारोबार के संबंध में 4,11,50,120 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश मिला है. इस कारोबार का एमटीडब्ल्यूएल से अलग कर एमएंडएम में विलय कर दिया गया था. 

क्यों लगा है जुर्माना?

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जुर्माना लगाने का एक कारण यह है कि “एमटीडब्ल्यूएल द्वारा जिस चालान के आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा किया गया है, उसे विक्रेताओं द्वारा जीएसटी रिटर्न में रिपोर्ट नहीं किया गया है और इस प्रकार वे ऑटो पॉपुलेटेड जीएसटीआर-2ए में दिखाई नहीं दे रहे हैं.” इसके अलावा, जुर्माने का एक अन्य कारण यह है कि “शिक्षा उपकर क्रेडिट बैलेंस को जीएसटी-पूर्व दौर से जीएसटी प्रणाली में लाने की अनुमति नहीं है.” कंपनी ने कहा है कि मूल्यांकन के आधार पर अपील दायर की जाएगी और उसे ‘अपीलीय स्तर पर अनुकूल परिणाम की उम्मीद है और उसे नहीं लगता कि उक्त आदेश से कंपनी पर कोई वित्तीय प्रभाव पड़ेगा.’’ 

इससे पहले बृहस्पतिवार को एमएंडएम ने कहा था कि कंपनी को सीजीएसटी और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, खंड-4, अहमदाबाद दक्षिण के कार्यालय के सहायक आयुक्त से एमटीडब्ल्यूएल के दोपहिया वाहन कारोबार के संबंध में 56,04,246 रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश मिला है. कंपनी पर अपने दोपहिया कारोबार के संबंध में जीएसटी से पहले की व्यवस्था में उपलब्ध इनपुट सेवा वितरक क्रेडिट को गलत तरीके से जीएसटी-तंत्र में आगे बढ़ाने के लिए 56 लाख रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है.