केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में चल रहे लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए GST टैक्सपेयर्स को राहत पहुंचाने के लिए कई सारे कदम उठाए हैं.  CBIC सीबीआईसी ने 30 मार्च 2020 से लेकर अब तक 5,575 करोड़ रुपये के दावों वाले 12,923 रिफंड आवेदनों की प्रोसेसिंग की है. अकेले पिछले सप्ताह ही सीबीआईसी ने 3854 करोड़ रुपये के दावों वाले 7,873 आवेदनों की प्रोसेसिंग की है. CBIC की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक क्लेम को प्रोसेस करने में कम समय लगे इसके लिए फॉर्म में निर्धारित नियमों के तहत सही जानकारी दी जाए.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इन बातों को रखें ध्यान

सीबीआईसी ने कहा कि दावे की प्रोसेसिंग के समय डेटा उपलब्ध करने में व्यापारियों को हो रही मुश्किल होती है, जिससे देरी होती है और प्रोसेसिंग लागत बढ़ जाती है. इस समस्या को दूर करने के लिए जीएसटी परिषद (GST Council) की बैठक में वर्गीकरण कोड की घोषणा को स्‍वयं आवेदन का ही एक हिस्सा बनाने का निर्णय लिया गया. जीएसटी परिषद की बैठक में निर्यातकों के रिफंड दावे में सहूलियत के लिए विभिन्‍न वित्तीय वर्षों में कर अवधि का समूह बनाने की अनुमति देने का निर्णय भी लिया गया है. यह 31 मार्च 2020 के बाद प्रस्‍तुत किए गए आवेदनों पर लागू होगा. इस तरह के आवेदनों की अंतिम तिथि, जो पहले 20 मार्च 2020 और 29 जून 2020 के दौरान निर्धारित थी, को बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया गया है.

जल्द रिफंड देने के लिए उठाए गए कदम

सीबीआईसी ने कहा कि उसने एक व्यापार और कारोबारों को राहत पहुंचाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं जाकि करदाताओं को जल्द  रिफंड दिया जा सके. जीएसटी रिटर्न दाखिल करने वालों को इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input tax credit) रिफंड जल्‍द हो सके और इसके साथ ही यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित सूचना के अभाव में गलत आईटीसी दावों की प्रोसेसिंग न हो जाए इसके लिए विशेष इंतजाम दिए गए हैं.

 

ये जानकारी है जरूरी

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) की ओर से जानकारी  के मुताबिक जीएसटी कानून में कुछ श्रेणियों में सेवाओं या पूंजीगत सामान (कैपिटल गुड्स) पर प्राप्त क्रेडिट को रिफंड करने की अनुमति नहीं दी गई है. उदाहरण के लिए, कैपिटल गुड्स आईटीसी रिफंड निर्यात और अन्य शून्य-रेटिंग वाली आपूर्ति के कारण आईटीसी रिफंड के लिए स्वीकार्य नहीं किया जाएगा. इसके अलावा, सेवाओं और पूंजीगत सामान पर प्राप्‍त आईटीसी को प्रतिलोमित शुल्‍क (इन्‍वर्टेड ड्यूटी) संरचना वाली रिफंड श्रेणी में रिफंड करने की अनुमति नहीं है.