अगर आप जल्द ही घर खरीदने वाले है तो ये खबर आपके लिए काफी ज़रूरी है. रियल एस्टेट सेक्टर को एक बूस्टर शॉट देने के लिए 19 मार्च की हुई जीएसटी परिषद की बैठक में अंडर कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी पर लगने वाले टैक्स पर सरकार ने नए नियम निकाले हैं. नए नियमों के मुताबिक, 1 अप्रैल से अफोर्डेबल हाउसिंग पर 1 प्रतिशत और बाकी प्रोजेक्ट्स पर 5 प्रतिशत GST बिना ITC कैलकुलेट के लगेगा.

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31 मार्च तक बिल्डर के पास दो विकल्प हैं, या तो वह पुराना GST रेट यानी 8 प्रतिशत या 12 प्रतिशत ITC के साथ लगा सकते हैं. प्रॉपर्टी एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक तरफ इससे लक्ज़री सेगमेंट को बढ़ावा तो ज़रूर मिलेगा लेकिन दूसरी तरफ अफोर्डेबल हाउसिंग को कुछ फायदा नहीं मिलेगा.

अफोर्डेबल हाउसिंग प्रोजेक्ट पर एक बिल्डर और खरीदार, दोनों के लिए GST पर बदलाव करना फायदेमंद नहीं है. लक्ज़री प्रोजेक्ट पर लगने वाले GST पर बदलाव करना बिल्डर और ख़रीदार के लिए फायदे का सौदा है. 

प्रॉपर्टी एक्सपर्ट सुरेश गर्ग (निराला वर्ल्ड के प्रबंध निदेशक) के मुताबिक, 6,000 रुपये प्रति स्क्वायर फीट या इससे नीचे की कीमत वाले फ्लैट पर बिल्डर 12 फीसदी की दर से जीएसटी लगाना सही समझता है. और 6,000 रुपये प्रति स्क्वायर फीट या इससे ऊपर की कीमत वाले फ्लैट पर बिल्डर 5 फीसदी की दर से जीएसटी लगाता है. 6,000 रुपये/स्क्वायर फीट या इससे अधिक की कीमत वाले फ्लैट पर आईटीसी लगाने के बाद आउटपुट की जो नेट लायबिलिटी बनती है, वह कम कीमत वाले पर नहीं बनती. 

इसलिए अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को GST के नए नियम से फायदा नहीं मिलेगा. नए नियम से लक्ज़री हाउसिंग सेगमेंट को ज़्यादा फायदा मिलेगा.

जहां बिल्डर और प्रॉपर्टी एक्सपर्ट को लगता है कि यह सेक्टर के लिए फायदेमंद है. उधर, जीएसटी एक्सपर्ट राजेश गुप्ता (Busy Infotech के डायरेक्टर) का मानना है कि घर खरीदारों के लिए ये फायदेमंद नही है और इसे कैश इकॉनमी को वापस बढ़ावा मिलेगा.

क्या है फायदा या नुकसान-

- नए नियम से घर खरीदारों को फायदा नहीं मिलेगा.

- ITC के बंद होने से बिल्डर अपनी कॉस्टिंग बढ़ा देंगे.

- बिल्डर बेस कॉस्ट को बढ़ा देंगे.

- ITC के बंद होने से बिल्डर वापस कैश में खरेदारी करेगा.

- बिल्डर के इस कदम से कैश इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा.

- अफोर्डेबल हाउसिंग में फायदा है, दूसरे सेगमेंट्स में नहीं.

- बिल्डर पुराने प्रॉजेक्ट्स पर पुरानी टैक्सेशन की गणना करेंगे.

(दानिश आनंद की रिपोर्ट)