GST on Health Insurance: वस्तु एवं सेवा कर (GST) काउंसिल की बड़ी बैठक सोमवार 9 सितंबर, 2024 ​को होने जा रही है. माना जा रहा है कि इस बैठक में हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पर GST को लेकर फैसला हो सकता है. सूत्रों की मानें तो फिटमेंट कमिटी प्रीमियम पर पूरी तरह जीएसटी छूट देने के पक्ष में नहीं है. हालांकि कमिटी की ओर से काउंसिल को कुछ सुझाव दिए गए हैं और अंतिम फैसला काउंसिल पर ही छोड़ दिया है.

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बता दें कि फिटमेंट कमिटी में केंद्र और राज्य सरकार दोनों के राजस्व अधिकारी शामिल होते हैं. फिलहाल कमिटी ने काउंसिल को कुछ विकल्‍प देते हुए फैसला उसी पर छोड़ दिया है. साथ ही ये भी बताया है कि उन विकल्‍पों को चुनने पर राजस्‍व पर किस तरह का असर देखने को मिल सकता है. सूत्रों की मानें तो हेल्‍थ इंश्‍योरेंस पर 4 तरीकों में से किसी एक तरीके से टैक्‍स कटौती पर विचार किया जा रहा है. फिटमेंट कमिटी का मानना है कि कटौती तभी होनी चाहिए, जब लाइफ इंश्‍योरेंस कंपनी इंश्‍योरेंस लेने वाले को फायदा दे. बताया जा रहा है कि काउंसिल लाइफ इंश्‍योरेंस में रेट में कमी केवल टर्म और री-इंश्‍योरेंस को ही देने पर विचार कर सकती है. 

नितिन गडकरी भी कर चुके हैं ये मांग

बता दें कि केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी सरकार से इंश्‍योरेंस पर जीएसटी को वापस लेने के लिए आग्रह कर चुके हैं. पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की तरफ से भी इस मांग को दोहराकर आम आदमी को राहत देने की मांग की जा चुकी है. बता दें कि GST एक अप्रत्यक्ष कर होता है. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में 1 जुलाई 2017 में लागू किए गए जीएसटी ने देश के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव किया है. इसके आने के बाद से पूरे देश में अलग-अलग टैक्स के बदले एक ही टैक्स लगाया जाता है.

GST लागू होने से पहले तक टर्म या लाइफ इंश्योरेंस और मेडिकल इंश्योरेंस पर 15 प्रतिशत टैक्‍स लगता था. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद ये 3 प्रतिशत बढ़ गया और इन इंश्‍योरेंस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगने लगा. 3 प्रतिशत टैक्‍स बढ़ने का सीधा असर इंश्योरेंस पॉलिसियों के प्रीमियम पर पड़ा और उसकी कीमतें बढ़ गईं. हालांकि इसको लेकर टैक्स में छूट की सुविधा की बात कहकर जीएसटी के पक्ष में दलीलें दी जाती है.