Gratuity: जॉब बदलने में 1 महीने की जल्दबाजी से हो जाएगा बड़ा नुकसान, समझें ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन
Gratuity Calculation: ग्रेच्युटी किसी इम्प्लॉई को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है. अगर इम्प्लॉई नौकरी की शर्तों को पूरा करता है, तो ग्रेच्युटी एक तय फॉर्मूले के तहत गारंटीड तौर पर उसे दी जाएगी.
(Representational)
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Gratuity Calculation: प्राइवेट सेक्टर में अगर आप किसी कंपनी में करते हैं, तो ग्रैच्युटी के बारे में जानते ही होंगे. किसी भी कंपनी में लंबे समय तक काम करते हैं, तो आप ग्रेच्युटी (Gratuity) के हकदार होते हैं. अधिकांश लोग जब जॉब बदलते हैं, तो उनको उम्मीद होती है कि कंपनी की ओर से ग्रेच्युटी मिलेगी. लेकिन, जॉब बदलने में जल्दबाजी कई बार नुकसान भी करा सकती है. इसलिए अगर आपने किसी भी कंपनी में 5 साल या उससे ज्यादा समय बीता लिया है और जॉब बदलने का प्लान कर रहे हैं, तो ग्रेच्युटी कैलकुलेशन भी कर लेना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि 1 महीने की जल्दबाजी भी आपको बड़ा नुकसान करा सकती है. ग्रेच्युटी पाने के लिए सरकार की तरफ से कुछ नियम तय किए गए हैं. अगर आप उसे पूरा करते हैं, तभी आपको ग्रैच्युटी का फायदा मिलेगा. आइए समझते हैं कैलकुलेशन...
ग्रेच्युटी क्या है?
किसी भी कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले इम्प्लॉई को सैलरी, पेंशन और प्रोविडेंट फंड (PF) के अलावा ग्रेच्युटी भी मिलती है. दरअसल, ग्रेच्युटी किसी इम्प्लॉई को कंपनी की ओर से मिलने वाला रिवार्ड होता है. अगर इम्प्लॉई नौकरी की कुछ शर्तों को पूरा करता है, तो ग्रेच्युटी का भुगतान एक निर्धारित फॉर्मूले के तहत गारंटीड पर उसे दी जाएगी.
कब मिलती है ग्रेच्युटी?
इम्प्लॉई की सैलरी से ग्रेच्युटी की एक रकम हर महीने कटती है. लेकिन इसका बड़ा हिस्सा कंपनी की तरफ से दिया जाता है. मौजूदा नियम के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी कंपनी में कम से कम 5 साल तक काम करता है, तो वह ग्रेच्युटी का हकदार हो जाता है. यानी, अगर, 5 साल बाद कंपनी छोड़ते हैं तो आपको ग्रेच्युटी मिलेगी.
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फार्मूला के मुताबिक, ग्रेच्युटी के लिए जब साल की कैलकुलेशन करते हैं तो छह महीने से ज्यादा की अवधि 1 साल मान ली जाती ही है. जैसेकि, अगर कोई कर्मचारी 10 साल 8 महीने काम करता है, तो उसे 11 साल मान लिया जाएगा और इसी आधार पर ग्रेच्युटी की रकम बनेगी. वहीं, अगर 10 साल 3 महीने काम करता है तो उसे 10 साल ही माना जाएगा.
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कैसे कैलकुलेट होती है रकम?
ग्रेच्युटी कैलकुलेट करने का एक एक तय फॉर्मूला है. कुल ग्रेच्युटी की रकम = (अंतिम सैलरी) x (कंपनी में कितने साल काम किया) x (15/26). अब मान लीजिए कि किसी इम्प्लॉई ने 10 साल एक ही कंपनी में काम किया. उस इम्प्लॉई की अंतिम सैलरी 50,000 रुपये (बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ता मिलाकर) है, तो उसको करीब 2.88 लाख रुपये बतौर ग्रेच्युटी (50000) x (10) x (15/26)= 2,88,461 रुपये) मिलेगी. ग्रेच्युटी कैलकुलेशन के फॉर्मूले में हर महीने में 26 दिन ही काउंट किया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि 4 दिन छुट्टी होती है. वहीं एक साल में 15 दिन के आधार पर ग्रेच्युटी का कैलकुलेशन होता है.
जॉब बदलने में 1 महीने की जल्दी से कैसे होगा नुकसान
मान लीजिए आपने किसी कंपनी में 10 साल 5 महीने का जॉब कर ली है, और जॉब बदल रहे हैं. महंगाई भत्ता मिलाकर आपकी लॉस्ट सैलरी 50,000 रुपये है. अब ग्रेच्युटी के फॉर्मूले के मुताबिक आपको 2.88 लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिलेगी. अब यही जॉब आप 10 साल 7 महीने के बाद बदलते हैं तो आपके ग्रेच्युटी की रकम 3.17 लाख रुपये हो जाएगी.
ऐसा इसलिए क्योंकि ग्रेच्युटी में साल की कैलुकेशन के दौरान अगर जॉब की अवधि उस साल के दौरान 6 महीने से ज्यादा है तो उसे पूरा साल मान लिया जाता है. यानी, सिर्फ एक महीने की जल्दबाजी में आपको करीब 28 हजार रुपये का नुकसान हो गया. इसलिए अगर लंबे समय तक किसी कंपनी के साथ बने हुए हैं और जॉब बदलने की सोच रहे हैं, ग्रेच्युटी में इस एक महीने के कैलुकेशन पर जरूर सोचना चाहिए.
02:43 PM IST