अगर आप अपने निवेश को लेकर किसी तरह का रिस्‍क नहीं लेना चाहते और लॉन्‍ग टर्म वाली किसी स्‍कीम में पैसा लगाना चाहते हैं तो आप‍ किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra- KVP) में निवेश कर सकते हैं. इस स्‍कीम का ऑप्‍शन आपको पोस्‍ट ऑफिस में मिल जाएगा. इस स्‍कीम में आपको पैसा दोगुना करने की सरकारी गारंटी मिलती है. मतलब अगर आप 10 लाख रुपए निवेश कर रहे हैं तो आपको मैच्‍योरिटी पर 20 लाख रुपए मिलना तय है. जानिए निवेश करने के लिए आपको क्‍या करना होगा और कितने समय में आपका पैसा दोगुना होगा.

कितने समय में दोगुना होगा पैसा?

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किसान‍ विकास पत्र स्‍कीम किसी भी निवेशक को 115 महीने (9 साल, 7 महीने) में निवेश को दोगुना करने की गारंटी देती है. मौजूदा समय में इस स्‍कीम पर 7.5% के हिसाब से ब्‍याज मिल रहा है. ब्‍याज की गणना सालाना आधार पर होती है. स्‍कीम में कोई व्‍यक्ति 1000 रुपए से भी निवेश की शुरुआत कर सकता है और अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है. इसके अलावा इस स्‍कीम के तहत कितने भी अकाउंट खोले जा सकते हैं.

कौन खोल सकता है अकाउंट

किसान विकास पत्र स्कीम की शुरुआत 1988 में हुई थी, तब इसका मकसद था किसानों के निवेश को दोगुना करना, लेकिन अब इसे सभी के लिए खोल दिया गया है. अब इसमें कोई भी वयस्‍क व्‍यक्ति सिंगल या जॉइंट अकाउंट ओपन करवा सकता है. इसके अलावा 10 साल से अधिक उम्र का बच्‍चा अपने नाम पर किसान विकास पत्र ले सकता है. अवयस्क या विकृत मस्तिष्क के व्यक्ति की ओर से अभिभावक खाता खोल सकते हैं. खाता खुलवाते समय आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म वगैरह डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है. NRI इस स्कीम के लिए पात्र नहीं है.

खाता खुलवाते समय किन डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत?

खाता खुलवाते समय आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र, पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ, केवीपी एप्लीकेशन फॉर्म वगैरह डॉक्‍यूमेंट्स की जरूरत पड़ सकती है. NRI इस स्कीम के लिए पात्र नहीं है.

प्रीमैच्‍योर विड्रॉल करना हो तो…

  • केवीपी खाते को जमा करने की तारीख से 2 साल 6 महीने के बाद प्रीमैच्योर विड्रॉल जा सकता है. वहीं कुछ विशेष परिस्थितियों में कभी भी प्री-मैच्‍योर डिपॉजिट कर सकते हैं जैसे-  
  • KVP होल्डर या जॉइंट अकाउंट के मामले में किसी एक या सभी अकाउंट होल्डर्स की मृत्यु होने पर
  • राजपत्र अधिकारी के मामले में गिरवीदार द्वारा जब्त किए जाने पर
  • न्यायालय के आदेश पर