बीमा ग्राहकों के लिए आई बढ़िया खबर, मैच्योरिटी से पहले बंद की पॉलिसी तो होगा कम नुकसान, IRDAI ने जारी किया प्रस्ताव
IRDAI ने कंसल्टेशन पेपर में Non-Par प्रोडक्ट्स के लिए और ऊंचे सरेंडर वैल्यू को प्रपोज़ किया है. गारंटीड सरेंडर वैल्यू या स्पेशल सरेंडर वैल्यू दोनों में से जो बड़ा अमाउंट हो, वो दिया जाएगा.
जब भी कोई इंश्योरेंस पॉलिसीहोल्डर अपनी पॉलिसी को मैच्योरिटी के पहले बंद कराता है तो उसे तबतक भरे गए प्रीमियम का कुछ हिस्सा वापस मिल जाता है, इसे सरेंडर वैल्यू कहा जाता है. इसके लिए सरेंडर वैल्यू कैलकुलेट किया जाता है. हालांकि, इंश्योरेंस कंपनियां मैच्योरिटी के पहले पॉलिसी बंद कराने को लेकर उसपर चार्ज काट लेती हैं. लेकिन अब बीमा ग्राहकों को सरेंडर वैल्यू पर फायदा हो सकता है. बीमा रेगुलेटरी IRDAI (Insurance Regulatory and Development Authority of India) ने इसे लेकर कंसल्टेशन पेपर जारी किया है.
क्या है IRDAI का प्रस्ताव?
IRDAI ने कंसल्टेशन पेपर में Non-Par प्रोडक्ट्स के लिए और ऊंचे सरेंडर वैल्यू को प्रपोज़ किया है. गारंटीड सरेंडर वैल्यू या स्पेशल सरेंडर वैल्यू दोनों में से जो बड़ा अमाउंट हो, वो दिया जाएगा. इससे पॉलिसीहोल्डर्स की सरेंडर वैल्यू में बढ़ोतरी होगी. इससे Non-Par प्रोडक्ट्स के मार्जिन्स पर नकारात्मक असर होगा. ध्यान देने वाली बात है कि ये प्रस्ताव non-par या non-participating products को लेकर किया गया है. नॉन-पार्टिसिपेटिंग प्रॉडक्ट्स का मतलब ऐसी पॉलिसीज़ से हैं, जिसपर पॉलिसीहोल्डर को कंपनी के प्रॉफिट का शेयर नहीं मिलता, उन्हें सालाना डिविडेंड पेआउट का फायदा नहीं मिलता.
क्या होती है सरेंडर वैल्यू?
देखिए, जब पॉलिसी होल्डर पालिसी को मैच्योरिटी से पहले टर्मिनेट करता है, तब इंश्योरेंस कंपनी पालिसी होल्डर को सरेंडर वैल्यू चुकाती है. सरेंडर वैल्यू के तौर पर लमसम प्रीमियम अमाउंट पालिसी होल्डर्स को वापस देती है. सरेंडर वैल्यू के लिए पॉलिसी होल्डर को कम से कम तीन सालों तक प्रीमियम देना होता है, यानी कि सरेंडर वैल्यू आपको तभी मिलेगा, जब आपने तीन सालों तक लगातार प्रीमियम भरा हो. और ये भी जान लीजिए कि सरेंडर वैल्यू दो तरह की होती है- Guaranteed Surrender Value और Special Surrender Value.
किन कंपनियों पर होगा असर?
IRDAI की ओर से ये प्रावधान आता है तो HDFC Life, SBI Life, Max Life, ICICI Pru Life और LIC जैसी कंपनियों पर असर पड़ेगा. लेकिन इन कंपनियों के पोर्टफोलियों नॉन-पार्टिसिपेटिंग प्रॉडक्ट्स की कितनी हिस्सेदारी है?
Life Insurance Companies Non-PAR products (%)
HDFC Life 28%
ICICI Life 14%
SBI Life 20%