कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) जल्द ही अपने सदस्यों को दोहरी खुशी देने जा रहा है. एक खुशखबरी पीएफ खाताधारकों के लिए है और दूसरी खुशी ईपीएफओ के पेंशनर्स के लिए आ सकती है. दरअसल, जल्द ही पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन को 1000 रुपए से बढ़ाकर 2000 रुपए किया जा सकता है. वहीं, पीएफ की ब्याज दरों को लेकर पिछले कुछ समय से चल रही खींचतान भी खत्म हो सकती है. मतलब पीएफ खाताधारकों को सिफारिशों के मुताबिक ही ज्यादा ब्याज मिलेगा.

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EPFO ले सकता है बड़ा फैसला

श्रम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, अगस्त के दूसरे हफ्ते में ईपीएओ की एक मीटिंग होनी है. इस मीटिंग का सबसे अहम मुद्दा पेंशनर्स की न्यूनतम पेंशन बढ़ाने का प्रस्ताव है. मीटिंग में प्रस्ताव रखा जाएगा. अगर मीटिंग में सहमति बनती है तो ईपीएफओ इस प्रस्ताव को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी की बैठक में रखेगा. अगर CBT की तरफ से प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो ईपीएफओ जल्द ही दोगुनी पेंशन देने का ऐलान कर सकता है. सरकार से ईपीएओ पहले ही इस मुद्दे पर सहमति बना चुका है. 

श्रम मंत्री भी दे चुके हैं इशारा

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, खुद श्रम मंत्री इस पक्ष में हैं कि न्यूनतम पेंशन की राशि को दोगुना किया जाए. कुछ समय पहले श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा भी था कि पेंशनर्स को गुजारे के लिए एक सम्माजनक रकम मिलनी चाहिए. रिटायरमेंट तक काम करने के बाद गुजारे के लिए 1000 रुपए की पेंशन काफी कम है. 

PF पर मिलेगा ज्यादा ब्याज

वहीं, प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज को खींचतान भी खत्म हो सकती है. सूत्रों की मानें तो ईपीएफओ इस पक्ष में है कि सिफारिशों के मुताबिक ही बढ़ी हुई ब्याज दर का फायदा पीएफ खाताधारकों को मिले. वित्त वर्ष 2018-19 में ईपीएफओ ने 8.65 फीसदी ब्याज देने की घोषणा की थी. वित्त मंत्रालय ने भी ब्याज दर बढ़ाने के ईपीएफओ के फैसले को मंजूरी दे दी थी. लेकिन, IL&FS संकट के चलते वित्त मंत्रालय ने EPFO से ब्याज दर की समीक्षा करने को कहा था. लेकिन, ईपीएफओ चाहता है कि पीएफ खाताधारकों को बढ़ा हुआ ब्याज ही मिले.

क्यों मिलेगा ज्यादा ब्याज?

ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2018-2019 के लिए पीएफ पर ब्याज दरें 8.55 फीसदी से बढ़ाकर 8.65 फीसदी करने की सिफारिश की थी. एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, पीएफ पर अधिक ब्याज देने के बाद भी इस वक्त ईपीएफओ के पास 150 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी है. कमजोर ब्याज दरों की वजह से होने वाले नुकसान को पहले ही कवर किया जा चुका है. इसलिए खाताधारकों को ज्यादा ब्याज देने में कोई दिक्कत नहीं है.

क्या है वित्त मंत्रालय की चिंता?

वित्त मंत्रालय को इस बात की चिंता है कि पीएफ पर ज्यादा ब्याज देने से बैंकों के लिए आकर्षक ब्याज दरें देना संभव नहीं होगा. इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. वित्त मंत्रालय की आपत्ति ऐसे वक्त में आई है जब बैंक फंड जुटाने के लिए लोन पर ब्याज दरें कम करने से बच रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की मंजूरी के बाद श्रम मंत्रालय को सौंपे गए मेमोरेंडम में कहा गया था कि IL&FS में निवेश के चलते फंड को नुकसान हुआ है. ऐसे में श्रम मंत्रालय को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पीएफ के ब्याज दर पर फिर से विचार करने की सलाह दी जाती है.