भारत में फिक्स्ड डिपोजिट (FD) को निवेश का एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है. लोग थोड़ा कम रिटर्न ही सही, सुरक्षित निवेश विकल्प में निवेश करना चाहते हैं. ऐसे में अगर आप भी एफडी में निवेश करने जा रहे हैं तो कुछ ऐसी बातें हैं जिनके बारे में आपको जान लेना चाहिए. आपको बता दें कि कराए गए एफडी की जब अवधि खत्म होती है तो उस पर ब्याज मिलता है. लेकिन तय सीमा से अधिक ब्याज होने पर उसमें से टीडीएस काट ली जाती है. इससे बचने के लिए एफडी कराते समय में फॉर्म 15एच और फॉर्म 15जी भरना चाहिए. इससे मेच्योरिटी पर आपका टीडीएस नहीं कटेगा.

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फॉर्म  15G और फॉर्म  15H क्या है

यहां आपको बता दें कि फॉर्म 15G और 15H को बैंक में जमा कर यह तय किया जा सकता है कि जमा पर आ रही ब्याज राशि से आय टैक्स के दायरे में नहीं है. इस वजह से यहां TDS न काटा जाए.सरकार की तरफ से तय राशि सीमा 40000 रुपये सालाना से कम है. इन फॉर्म को हर साल भरना होता है. इसलिए अपने एफडी की राशि पर नजर बनाए रखें.  60 साल से कम उम्र के लोगों को फॉर्म 15 एच भरना होता है. 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्ति या HUF (हिंदू अविभाजित परिवार) या ट्रस्ट या अन्य इस फॉर्म को भर सकते हैं. यह फॉर्म कंपनियों या फर्म के लिए नहीं है.

ऐसे कस्टमर के लिए है फॉर्म  15G 

यह फॉर्म वरिष्ठ नागरिकों के लिए होता है. यानी 60 साल से अधिक उम्र सीमा के लोगों को एफडी कराते समय फॉर्म 15जी भर कर जमा करा देना चाहिए. कोई कस्टमर इन फॉर्म को भरने से चूके जाते हैं तो आप  इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर में आकलन वर्ष में टीडीएस क्लेम कर सकते हैं. आयकर विभाग आपको रिफंड कर देंगे.