Money: मार्केट में गिरावट के समय फाइनेंशियल टारगेट की सेफ्टी है बेहद जरूरी, जानें कैसे रखें ख्याल?
Money: अमूमन क्या होता है कि जब हमारा निवेश लक्ष्य पूरा हो जाता है तो हम इस आलस में पड़ जाते हैं कि कोई नहीं, हमारा टारगेट तो पूरा हो गया है. कभी फुर्सत में पैसे निकाल लेंगे.
Money: कोई भी निवेशक किसी इंस्ट्रूमेंट्स में यह सोचकर एक तय रकम लगाता है कि उस वक्त तक उसका कोई खास फाइनेंशियल टारगेट पूरा हो जाएगा. साथ ही उस वक्त तक उसे बेहतर रिटर्न भी मिलेगा. इसके लिए आप या तो एकमुश्त पैसा लगाते हैं या एसआईपी के जरिये हर महीने एक तय रकम निेवेश करते चले जाते हैं. लेकिन क्या कभी आपने यह सोचा है कि जिस साल निवेश की मेच्योरिटी पूरी होने वाली हो, उसी साल मार्केट में गिरावट आ जाए और आपका रिटर्न जितना अच्छा दिख रहा था, उतना न हो. शायद निगेटिव में भी दिखे.
अब सवाल यह भी है कि क्या ऐसी स्थिति से बचा जा सकता है या नहीं. आपको बता दें आप ऐसा कर सकते हैं. इसके लिए आपको कुछ बातों पर खासतौर पर गौर करना चाहिए.
आलस और लालच में न पड़े
अमूमन क्या होता है कि जब हमारा निवेश लक्ष्य पूरा होने वाला होता है तो हम इस आलस में पड़ जाते हैं कि कोई नहीं, हमारा टारगेट तो पूरा हो गया है. कभी फुर्सत में पैसे निकाल लेंगे. बस यही आलस आपको नुकसान दे जाता है. ऐसे में कई बार आपकी राशि मार्केट में गिरावट की वजह से लक्ष्य पाकर भी निगेटिव में चली जाती है. दूसरा, एक बड़ा मुद्दा है लालच. हम कई बार सोचते हैं कि टारगेट तो हमारा पूरा हो गया, चलो थोड़े और समय के लिए पैसे को निवेश में बनाए रखते हैं. शायद थोड़ा और मिल जाए.
लेकिन कोरोनावायरस की स्थिति में जब मार्केट में गिरावट आती है तो फिर आपके टारगेट को पूरा कर चुका पैसा फिर से निगेटिव हो जाता है. तरीका यह है कि जैसे ही टारगेट पूरा हो जाए, आप पैसे निकाल लें और किसी सेफ ऑप्शन में रख लें. आलस और लालच में न पड़ें. तब आप ऐसे मुसीबत में नहीं फंसेगे.
टारगेट ईयर कम मानकर चलें
हमेशा यह कोशिश करें कि आप टारगेट के साल को कम कर रखकर चलें. इसमें कम से कम दो से तीन साल का गैप रखें. जैसे आपने 10 साल का लक्ष्य रखा है तो इसे आप 8 साल या 7 साल ही मानकर चलें. अगर समय से पहले ही आपके लक्ष्य के मुताबिक रकम जमा होते ही आप इक्विटी म्यूचुअल फंड से पैसे निकाल लें और किसी सेफ जगह रख लें.
एसेट लोकेशन पर ध्यान दें
निवेश में एसेट लोकेशन बेहद अहम है. अधिक रिटर्न के नाम पर सिर्फ इक्विटी की तरफ फोकस न करें. आप सोना समेत दूसरे ऑप्शन पर भी फोकस रखें. निवेश इस तरह बांट कर करें कि आपके पोर्टफोलियो में बैलेंस बना रहे.
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ऐसे समय में अगर एक एसेट खराब परफॉर्म कर रहा है तो दूसरा एसेट उसकी भरपाई कर रहा हो. एक और खास बात यह ध्यान में रखें कि निवेश से पहले आपको अपना लक्ष्य स्पष्ट पता होना चाहिए. इससे आप गिरावट के माहौल में घबराएंगे नहीं.