सीखिए फाइनेंशियल प्लानिंग की बारीकियां, सीमित कमाई में पूरी होंगी सभी जरूरतें
हम अक्सर इस पर तो बात करते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग कितनी जरूरी है, लेकिन फाइनेंशियल प्लानिंग की कैसे जाए, ये समझना भी बहुत जरूरी है.
हम अक्सर इस पर तो बात करते हैं कि फाइनेंशियल प्लानिंग कितनी जरूरी है, लेकिन फाइनेंशियल प्लानिंग की कैसे जाए, ये समझना भी बहुत जरूरी है. ये समझने के लिए हमें वापस मनी गुरू की क्लासरूम में जाना होगा और इसकी बारीकियां सीखनी होंगी. ताकि सीमित कमाई में भी आप अच्छी फाइनेंशियल प्लानिंग कर सकें. आज मनी गुरू में हम लगाएंगे फाइनेंशियल प्लानिंग की पाठशाला और इसमें फाइनेंशियल प्लानिंग की हर बारीकी को समझाएंगे फुल सर्किल फाइनेंशियल प्लानर एंड एडवायजर्स के फाउंडर कल्पेश आशर.
फाइनेंशियल प्लानिंग क्या है?
1. यह वित्तीय प्रबंधन की एक प्रक्रिया है.
2. सपनों को पूरा करने के लिए प्लानिंग है.
3. जीवन के हर पड़ाव के लिए वित्तीय तैयारी जरूरी.
4. आज की प्लानिंग से कल को सुरक्षित करिए.
5. सीमित कमाई में ज्यादा हासिल करना.
फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें?
सबसे पहले फाइनेंशियल प्रोफाइल को समझें. अपनी कमाई और खर्च की हर जानकारी जुटाएं. अपने फाइनेंशियल प्रोफाइल को रिव्यू करें. इस तरह आपका फाइनेंशियल रोडमैप तैयार होगा. ये रोडमैप वित्तीय जोखिमों को कवर करता है और लक्ष्यों को पाने के लिए रास्ता तैयार होता है.
फाइनेंशियल प्लानिंग के 6 बिंदु
1. कैश फ्लो/बजट.
2. नेटवर्थ का अनुमान.
3. जोखिम प्रबंधन (इंश्योरेंस).
4. इन्वेस्टमेंट प्लानिंग (लक्ष्य आधारित).
5. टैक्सेशन एडवायजरी.
6. वसीयत तैयार करना.
कैश फ्लो/बजट
फाइनेंशियल प्लानिंग का ये पहला कदम है. यह फाइनेंशियल प्लानिंग की नींव है. आय के सभी स्रोतों की लिस्ट तैयार करें. संभावित खर्चों की भी लिस्ट बनाएं. इससे मासिक बजट का खाका तैयार होगा. कैश फ्लो/बजट से खुद की वित्तीय स्थिति पता चलती है. क्या आपकी कमाई ज्यादा है या आय के मुकाबले खर्च ज्यादा है? इन सवालों का जवाब मिलता है.
नेट वर्थ का अनुमान
निजी संपत्ति में से निजी देनदारी घटाएं. इससे आपका नेटवर्थ सामने आएगा. स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड्स, FD, सोना
रियल एस्टेट (जिस घर में रह रहे हैं, उसे छोड़कर), जिससे कमाई हो रही हो, ये सभी आपकी संपत्ति का हिस्सा होते हैं. देनदारी में लोन और क्रेडिट कार्ड बिल आता है. आपके निजी खर्चे भी इसमें शामिल होते हैं. जिस घर में रह रहे हैं, वह भी खर्च का हिस्सा है.
जोखिम प्रबंधन (इंश्योरेंस)
इंश्योरेंस में लाइफ इंश्योरेंस और हेल्थ इंश्योरेंस शामिल हैं. जरूरतों के हिसाब से सही इंश्योरेंस का चुनाव कीजिए. वित्तीय नुकसान से बचने के लिए इंश्योरेंस लेना महत्वपूर्ण है. इंश्योरेंस आपको और आपके परिवार को सुरक्षा कवर देगा. हेल्थ इंश्योरेंस स्वास्थ्य खर्च कम करने में मदद करता है.
इन्वेस्टमेंट प्लानिंग (लक्ष्य आधारित)
वित्तीय लक्ष्य भविष्य को ध्यान में रख तैयार करें. लक्ष्यों की फ्यूचर वैल्यू को ध्यान में रख करें प्लानिंग. किसी लक्ष्य के लिए भविष्य में कितना खर्च लगेगा, लक्ष्य तय करते वक्त इस सवाल का जवाब ढूंढें. लक्ष्य तय करने के तीन फायदे हैं - उद्देश्य पता है, फोकस कर पाते हैं, दिशा तय होती है.
लक्ष्यों के हिसाब से उनकी अवधि तय करें. किसी लक्ष्य को कितने साल में पाना चाहते हैं, ये लक्ष्य तय करते वक्त साफ रखें. इससे उन लक्ष्यों को पाने में आसानी होगी. अवधि के हिसाब से आप प्लान कर सकेंगे. किसी लक्ष्य की खातिर कितनी बचत जरूरी. ये लक्ष्य की अवधि तय करने से ही पता चलेगा. आपके लक्ष्य 2 तरह के होने चाहिए - छोटी अवधि और लंबी अवधि के लक्ष्य. अवधि पता होने पर प्लानिंग होगी आसान. वित्तीय लक्ष्यों के लिए इन्वेस्टमेंट प्लानिंग जरूरी है. लक्ष्यों के हिसाब से सही इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट चुनना. सही जगह निवेश से लक्ष्य पूरा करने में मदद मिलेगी. इन्वेस्टमेंट प्लानिंग हमेशा लक्ष्यों के हिसाब से करें.
टैक्स देनदारी
टैक्स प्लानिंग फाइनेंशियल प्लानिंग का एक अहम हिस्सा है. फाइनेंशियल प्रोफाइल और वित्तीय लक्ष्यों को सामने रखें. इनके आधार पर अलग से टैक्स प्लानिंग करनी चाहिए. लक्ष्यों के हिसाब से टैक्स प्लानिंग होनी चाहिए. कहां और कैसे टैक्स बचा सकते हैं, इस सवाल का जवाब खुद से लें. लक्ष्यों की अवधि को ध्यान रखें. सिर्फ टैक्स बचत के लिए इंश्योरेंस न लें. स्मार्ट टैक्स प्लानिंग करने पर फोकस करें.
वसीयत
आपके न होने पर आपकी संपत्ति किसे मिलेगी, ये वसीयत के जरिये आप तय कर सकते हैं. स्पष्ट और अच्छी तरह से लिखी वसीयत बनाएं. इससे वारिसों में झगड़ा होने की स्थति नहीं आएगी. अन्य कई चीजें भी वसीयत से साफ होती हैं.