Charges on UPI Payment: पिछले दिनों खबर आई थी कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया UPI पेमेंट की समीक्षा कर रहा है. इसमें कहा गया था कि रिजर्व बैंक यूपीआई पेमेंट पर एमडीआर चार्ज यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट लगाने पर विचार कर रहा है. अब वित्त मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में बयान जारी किया गया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से किए गए ट्वीट में कहा गया कि यूपीआई एक ऐसा डिजिटल प्लैटफॉर्म है जो जनता के लिए अत्यधिक सुविधाजनक है और अर्थव्यवस्था में इसका बड़ा योगदान है.

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सरकार यूपीआई पेमेंट सर्विस पर किसी तरह का चार्ज लगाने पर विचार नहीं कर रही है. सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए कॉस्ट रिकवरी के लिए अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा. डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम को मजबूत करने के लिए सरकार ने पिछले साल आर्थिक मदद का ऐलान किया था. यह मदद इस साल भी जारी रहेगी.

 

1500 करोड़ की आर्थिक मदद दी गई थी

UPI payment charges: वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि UPI पेमेंट सर्विस पर किसी तरह का चार्ज लगाने का विचार नहीं किया जा रहा है. सरकार ने डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम के लिए आर्थिक मदद को जारी रखने का फैसला किया है. पिछले साल सरकार ने डिजिटल पेमेंट सिस्टम के कारण होने वाले MDR चार्ज के नुकसान के लिए 1500 करोड़ का ऐलान किया था. 

1 जनवरी 2020  से UPI सर्विस चार्ज फ्री है

सरकार ने 1 जनवरी 2020 को रूपे डेबिट कार्ड और UPI को चार्ज मुक्त कर दिया था. ऐसे में प्रत्येत ट्रांजैक्शन पर MDR चार्ज का नुकसान हो रहा था. इसकी भरपाई के लिए ही आर्थिक मदद दी जा रही है. बता दें कि यूपीआई सर्विस ऑनलाइन लेनदेन का सबसे आसान और पॉप्युलर माध्यम बन गया है. NPCI के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई में यूपीआई की मदद से 600 करोड़ ट्रांजैक्शन किए गए. इन ट्रांजैक्शन की मदद से 10.2 लाख करोड़ रुपए का ट्रांजैक्शन पूरा किया गया. मंथली आधार पर सैकड़ों करोड़ ट्रांजैक्शन से होने वाले एमडीआर चार्ज नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है.