साइबर ठग लोगों को ऑनलाइन ठगने (Online Fraud) के लगातार नए-नए तरीके अपना रहे हैं. यह सीजन आयकर रिटर्न (Income Tax return) दाखिल करने का है. ऐसे में अब साइबर ठग लोगों को जल्द से जल्द रिफंड दिलाने के दावे करते हुए मैसेज भेज रहे हैं. 

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आयकर विभाग (Income Tax Department) और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने टैक्स पेयर्स को अलर्ट किया है कि वे किसी फर्जी लिंक पर क्लिक करके जल्दी रिफंड पाने के झांसे में न आएं.

टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि लॉकडाउन (Lockdown) के कठिन समय में सरकार ने कारोबारों को मदद करने के लिए फौरान टैक्स रिफंड का जब से फैसला लिया है, तब से ऐसे फर्जी मैसेज आ रहे हैं. ऐसे मैसेज के झांसे में आना टैक्सपेयर्स को भारी पड़ सकता है.

सीबीआईसी (CBIC) ने अपने एक ट्वीट में कहा, "टैक्सपेयर्स सावधान!!! कृपया ऐसे किसी भी लिंक पर क्लिक न करें, जो रिफंड देने का वादा करता हो. ये फर्जी मैसेज हैं और सीबीआईसी या एटइंफोसिस अंडरस्कोर जीएसटीएन से नहीं भेजे गए हैं. जीएसटी से जुड़ी ऑनलाइन फाइलिंग के लिए gst.gov.in पर जाएं."

 

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने भी इसी तरह के ट्वीट किए हैं. टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा है कि वे टैक्स रिफंड के लिए और करदाताओं के केवाईसी डिटेल सहित उनकी निजी जानकारी के लिए कोई मेल नहीं भेज रहे हैं.

जीएसटीएन नेटवर्क (GSTN) ने भी करदाताओं (Taxpayers) को आगाह करते हुए ट्वीट किए थे और वेबसाइट ऑनलाइनफाइलिंगइंडिया डॉट इन को सबस्क्राइब न करने के लिए कहा था, जिसे करदाताओं से निजी जानकारी हासिल करने के लिए सर्कुलेट किया जा रहा है.

 

जीएसटीएन ने ट्वीट किया, "फ्रॉड वेबसाइट ऑनलाइनफाइलिंगइंडिया डॉट इन से सावधान। यह करदाताओं की निजी जानकारी और बैंक डिटेल हासिल करने के लिए उन्हें प्रलोभन देने की कोशिश कर रही है। किसी भी ऐसे संदेश, मेल और वेबसाइट का जवाब न दें, जिसमें आपके निजी विवरण मांगे जाएं."

जीएसटीएन ने कहा है कि ऐसे फर्जीवाड़े देखने को मिले हैं, जिसमें कुछ फर्जी लोग जीएसटीएन द्वारा तैयार एक पोर्टल के जरिए टैक्सपेयर्स की डिटेल की फौरन प्रॉसेसिंग करने का दावा कर रहे हैं.

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जीएसटीएन ने कहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले खुद को टैक्स अधिकारी या जीएसटीएन कर्मचारी बताकर फर्जी ईमेल भेजकर खाते को अपडेट करने के लिए भी कह सकते हैं.

इन फर्जी मैसेज और ई-मेल की शुरुआत तब से हुई, जब सरकार ने लॉकडाउन के दौरान टैक्सपेयर्स की मदद के लिए आयकर और जीएसटीएन रिफंड्स को फौरन निपटाने का फैसला लिया था.