EPFO के तहत हर कर्मचारी को इंप्‍लॉई प्रोविडेंट फंड के अलावा वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड (Voluntary Provident Fund - VPF) की सुविधा दी जाती है. वॉलेंटरी प्रोविडेंट फंड के जरिए व्‍यक्ति पीएफ में अपना कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन बढ़ा सकता है और उस पर ईपीएफ पर मिलने वाले ब्‍याज जितना ही ब्‍याज प्राप्‍त कर सकता है. ईपीएफ में कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी तक योगदान दे सकता है, लेकिन वीपीएफ में ऐसी कोई सीमा नहीं होती. कर्मचारी चाहे तो बेसिक सैलरी का 100 फीसदी तक योगदान भी कर सकता है. 

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आसान शब्‍दों में समझा जाए तो वीपीएफ वो सुविधा है जिसके जरिए कर्मचारी को प्रोविडेंट फंड में बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी से अधिक रकम को निवेश करने का मौका मिलता है. साथ ही इसमें वो सभी फायदे मिलते हैं, जो एक कर्मचारी को ईपीएफ अकाउंट पर दिए जाते हैं. वर्तमान में ईपीएफ पर ब्‍याज दर 8.10% है. मान लीजिए अगर आप भी वीपीएफ में निवेश शुरू करना चाहते हैं, तो इस अकाउंट में जमा राशि की निकासी कब और कैसे कर सकते हैं, यहां जानिए इसके बारे में.

वीपीएफ निकासी के नियम

VPF का लॉक इन पीरियड 5 साल का होता है. 5 साल बाद ही आपको इससे आंशिक धनराशि निकालने की सुविधा दी जाती है. 5 साल बाद किए गए विड्रॉल पर टैक्‍स भी नहीं लगता है. लेकिन अगर आप वीपीएफ में जमा पूरी राशि को निकालना चाहते हैं, तो इस पर भी वही नियम लागू होता है, जो ईपीएफ का है. कर्मचारी जब रिटायर हो जाता है या लगातार 2 महीने से अधिक समय तक बेरोजगार रहता है, उस स्थिति में वीपीएफ राशि को निकाल सकता है. इसके लिए ऑनलाइन क्‍लेम किया जा सकता है.

कैसे करें फंड की निकासी

वीपीएफ के फंड निकासी के लिए आप  UAN पोर्टल पर लॉगिन करके या मोबाइल पर उमंग एप डाउनलोड करके ऑनलाइन अप्‍लाई कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए आपका UAN नंबर एक्टिवेट होना बहुत जरूरी है. साथ ही UAN नंबर से आधार नंबर लिंक होना चाहिए और पैन और अकाउंट नंबर भी पीएफ से लिंक होना चाहिए. आवेदन करते समय आपको क्लेम फॉर्म में नाम, पता, पीएफ अकाउंट नंबर, बैंक अकाउंट नंबर वगैरह के डीटेल्स भरने होंगे, साथ ही बैंक अकाउंट के चेक या पासबुक की स्कैन कॉपी भी अपलोड करनी होगी. सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपके फंड ट्रांसफर के लिए प्रोसेस शुरू हो जाएगी और कुछ समय में आपका पैसा अकाउंट में आ जाएगा.