EPFO Family Pension: ऑरगेनाइज्‍ड सेक्‍टर में काम करने वाले सभी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और डीए का 12 फीसदी अमाउंट हर महीने कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में जमा होता है. इतना ही कंट्रीब्‍यूशन नियोक्‍ता को भी करना होता है. एम्‍प्‍लॉयर द्वारा कंट्रीब्‍यूट किए जाने वाले 12 प्रतिशत में से 8.33 प्रतिशत हिस्‍सा कर्मचारी के पेंशन अकाउंट में जाता है और 3.67 प्रतिशत हर महीने ईपीएफ में जाता है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पेंशन अकाउंट में साल दर साल जमा यही पैसा इकट्ठा होकर रिटायरमेंट के बाद पेंशन के तौर पर दिया जाता है. लेकिन अगर किसी कारणवश EPF मेंबर की मौत हो जाती है तो इस पेंशन का लाभ उसके परिवार को दिया जाता है. इस कारण इसे फैमिली पेंशन भी कहा जाता है. जानिए कर्मचारी की मौत की स्थिति में परिवार के कौन से सदस्‍य होते हैं पेंशन के अधिकारी.

पत्‍नी और बच्‍चे हैं पेंशन के हकदार

ईपीएफओ के नियम के अनुसार अगर कर्मचारी 10 साल की नौकरी पूरी कर चुका है, तो वो पेंशन पाने का हकदार हो जाता है. पेंशन अधिकारी बनने के बाद अगर उसकी मौत हो जाती है तो  ईपीएस के तहत मिलने वाली पेंशन का लाभ मृतक कर्मचारी के जीवनसाथी (पति/पत्‍नी) को और अधिकतम दो बच्‍चों को मिलता है. ऐसे में पत्‍नी को पेंशन का 50 फीसदी हिस्‍सा मिलता है और अगर बच्‍चों की आयु 25 साल से कम है तो उन्‍हें 25-25 फीसदी हिस्सा दिया जाता है. बच्चों में सगे, कानूनी रूप से गोद लिए बच्चे शामिल हैं.

जीवनसाथी दूसरी शादी कर ले तो

अगर ईपीएफओ मेंबर की मौत के बाद उसके जीवनसाथी की भी मौत हो जाए या वो दूसरी शा‍दी कर ले तो  बच्‍चों को पेंशन का 75 फीसदी हिस्‍सा 25 साल की आयु होने तक मिलता है. अगर संतान शारीरिक रूप से अक्षम है तो उसे 75 फीसदी पेंशन ताउम्र दी जाती है.

अविवाहित होने पर कौन हकदार

अगर कर्मचारी अविवाहित है तो पेंशन उसके माता-पिता को ताउम्र दी जाएगी. अगर कर्मचारी के पिता या मां में से भी किसी की मौत हो गई है, तो दोनों में से जो भी बचा है, वो पेंशन प्राप्‍त करने का हकदार होगा. अगर परिवार में कोई नहीं है, तो जो भी नॉमिनी होगा, उसे पेंशन का लाभ दिया जाता है.