EPFO Higher Pension Scheme: केरल उच्च न्यायालय ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) से कहा है कि वह कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को पूर्व सहमति का प्रमाण पत्र देने की जरूरत के बिना अधिक अंशदान का विकल्प चुनने की अनुमति देने के लिए अपनी ऑनलाइन प्रणाली में प्रावधान करे. न्यायमूर्ति जियाद रहमान एए ने बुधवार को कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया. 

सब्सक्राइबर्स के पास है 3 मई तक का वक्त

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याचिका में दावा किया गया था कि अधिक योगदान का विकल्प चुनते समय दिए पूर्व अनुमति की एक प्रति देनी होती है, जो ईपीएफ योजना, 1952 के तहत अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इस तरह की अनुमति देने के लिए ईपीएफओ ने कभी भी जोर नहीं दिया और वह उच्च योगदान को स्वीकार कर रहा है. उन्होंने कहा कि वे ऑनलाइन विकल्प फॉर्म में उक्त कॉलम को नहीं भर पा रहे हैं, और पूर्व सहमति का प्रमाण दिए बिना वे सफलतापूर्वक ऑनलाइन विकल्प जमा नहीं कर पाएंगे. यदि वे 3 मई की अंतिम समयसीमा से पहले ऐसा नहीं करते हैं, तो वे योजना के लाभ से वंचित हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उच्च पेंशन का विकल्प चुनने के लिये 3 मई तक का समय दिया है. 

EPFO से केरल हाईकोर्ट ने क्या कहा?

ईपीएफओ ने दलीलों का विरोध करते हुए तर्क दिया कि लाभ पाने के लिए अनुमति ''महत्वपूर्ण आवश्यकता'' है. सभी की दलीलों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत मिलनी चाहिए. अदालत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने विकल्प जमा करने के लिए अंतिम तारीख 3 मई, 2023 तय की है. अब ईपीएस योजना के पैरा 26(6) के तहत विकल्प का विवरण प्रस्तुत करने के लिए ईपीएफओ पूर्व सहमति के प्रमाण पर जोर दे रहा है. साथ ही इसके लिए प्रदान की गई ऑनलाइन सुविधा की विशिष्ट प्रकृति को देखते हुए, उन्हें उक्त विकल्प को लेकर आवेदन जमा करने से एक तरह से रोका जा रहा है.’’

ऑनलाइन और ऑफलाइन सुविधा देने को कहा

न्यायाधीश ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं को अंतिम तारीख से पहले अपने विकल्प प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं दी गई, तो वे न्यायालय के फैसले के तहत लाभ का दावा करने के अवसर से हमेशा के लिए वंचित हो जाएंगे. अदालत ने ईपीएफओ और इसके तहत आने वाले अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे "ऑनलाइन सुविधा में पर्याप्त प्रावधान करें ताकि कर्मचारी/पेंशनभोगी बिना सहमति का प्रमाण दिये शीर्ष अदालत के निर्देशों के अनुरूप विकल्प का चयन आसानी से कर सके.’’ उसने कहा कि यदि ऑनलाइन सुविधा में उपयुक्त संशोधन नहीं किया जा सकता है, तो आवेदन भौतिक रूप से जमा करने समेत अन्य व्यवहारिक विकल्प उपलब्ध कराये जाएं. इसमें कहा गया है कि उल्लेखित सुविधाएं उच्च न्यायालय के 12 अप्रैल के आदेश की तारीख से 10 दिनों की अवधि के भीतर सभी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को उपलब्ध कराई जाए.

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