अगर आप नौकरीपेशा हैं तो हर महीने आपकी सैलरी से 12 फीसदी अमाउंट कटकर कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में जाता होगा. इतना ही पैसा नियोक्‍ता की ओर से भी अकाउंट में डाला जाता है. एंप्लॉयर के 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन में केवल 3.67 फीसदी ईपीएफ अकाउंट में जमा किया जाता है. बाकी का 8.33 फीसदी ईपीएस अकाउंट में जमा किया जाता है. आपने चाहे 6 महीने की नौकरी की हो या फिर 15 साल की, ईपीएफ का पैसा आप नियमों के तहत जब चाहे निकाल सकते हैं, लेकिन EPS के साथ ऐसा नहीं है. इसके लिए आपको ईपीएस निकासी से जुड़े नियमों को समझना चाहिए.

6 महीने से कम समय की है नौकरी तो नहीं निकाल सकते पैसा

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नियम के मुताबिक अगर आपने 6 महीने से कम समय की नौकरी की है तो आप पेंशन का पैसा नहीं निकाल सकते. इस पैसे को निकालने के लिए 6 महीने से ज्‍यादा समय तक ईपीएस अकाउंट में कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन जरूरी है. वहीं अगर आपने 10 साल या इससे ज्‍यादा समय तक नौकरी की है या फिर 9 साल 6 महीने से ज्‍यादा समय तक नौकरी की है तो भी EPS का पैसा नहीं निकाल सकते. 10 साल से ज्‍यादा समय तक कॉन्‍ट्रीब्‍यूशन करने की स्थिति में आप ईपीएफओ से पेंशन प्राप्‍त करने के हकदार बन जाते हैं. ऐसे में 50 से 58 साल की उम्र पर आप ईपीएफओ से पेंशन ले सकते हैं. 

6 महीने से ज्‍यादा और 10 साल से कम हो नौकरी तो…

अगर आपने 9 साल 6 महीने से कम समय की नौकरी की है और आगे नौकरी करने का इरादा भी नहीं है, तो आप ईपीएफओ से पेंशन लेने के हकदार नहीं होते. इस स्थिति में आप ईपीएफ और ईपीएस की रकम के साथ फुल एंड फाइनल सेटलमेंट कर सकते हैं. इसके बाद ईपीएफओ की तरफ से आपका खाता पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. 

कैसे क्‍लेम करते हैं EPS का पैसा

अगर कर्मचारी की नौकरी की अवधि 10 साल की नहीं है और वो अपने ईपीएफ का फुल एंड फाइनल सेटलमेंट करते समय ईपीएस में जमा पैसे को भी एक साथ निकाल सकता है. ऐसे में उसे फॉर्म 10C को भरना होता है. वहीं रिटायरमेंट के बाद पेंशन लाभ लेने के लिए उसे फॉर्म 10D भरना पड़ता है. इसके अलावा किसी अन्‍य स्थिति में भी अगर व्‍यक्ति ईपीएफओ से पेंशन पाने का हकदार है तो उसे फॉर्म 10D भरना पड़ेगा.