PF पर 12% ब्याज भी मिलता था, बोनस भी देती थी सरकार, फिर ऐसे बदलता चला गया वो दौर
EPFO News: कर्मचारी भविष्य निधिन संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2020-21 के लिए PF पर मिलने वाला ब्याज जल्द ही खाताधारकों के अकाउंट में क्रेडिट किया जा सकता है.
एक दौर वो भी था, जब PF पर मिलने वाला ब्याज 12% हुआ करता था. लगातार कटौती होती गई और आज ब्याज 8.50 फीसदी मिलता है.
एक दौर वो भी था, जब PF पर मिलने वाला ब्याज 12% हुआ करता था. लगातार कटौती होती गई और आज ब्याज 8.50 फीसदी मिलता है.
कर्मचारी भविष्य निधिन संगठन (EPFO) वित्त वर्ष 2020-21 के लिए PF पर मिलने वाला ब्याज जल्द ही खाताधारकों के अकाउंट में क्रेडिट किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक, जुलाई महीने के अंत तक ब्याज को PF अकाउंट में क्रेडिट कर दिया जाता है. कुल 8.50 फीसदी का ब्याज मिलेगा. लेकिन, यह ब्याज दर पिछले 7 साल में यह ब्याज दर सबसे कम है. वित्त वर्ष 2016-17 में 8.65% ब्याज मिलता था. हालांकि, एक दौर वो भी था, जब PF पर मिलने वाला ब्याज 12% हुआ करता था. लगातार कटौती होती गई और आज ब्याज 8.50 फीसदी मिलता है. ऐसा भी नहीं है कि ये सबसे कम ब्याज दर है. आइये जानते हैं कब-कितनी हुई कटौती और कब मिलता था सबसे ज्यादा ब्याज...
1952 में की गई थी शुरुआत?
भारत सरकार ने 1952 में EPFO की शुरुआत की थी. यह वह दौर था, जब भारत आजादी के बाद पहली बार मजदूरों को सोशल सिक्योरिटी देने का प्रयास कर रहा था. उस वक्त EPFO के अंतर्गत 1952 एक्ट लागू किया गया. यहीं से PF पर मिलने वाले ब्याज की शुरुआत हुई. हालांकि, शुरुआत में ब्याज काफी कम था, महज 3 फीसदी से इसकी शुरुआत की गई. वित्त वर्ष 1955-56 में PF पर ब्याज दर को 3.50% तय की गई. 1963-64 में यह बढ़ते हुए 4% पर पहुंची.
फिर हल साल बढ़ता गया ब्याज
वित्त वर्ष 1963-64 के बाद से हर साल PF के ब्याज में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी की गई. 1969-70 तक यह बढ़कर 5.50% पहुंच गई. हालांकि, उसके बाद से इसके लगातार 0.25% पर ब्रेक लगा और EPFO ने वित्त वर्ष 1970-71 में इसे महज 0.10 फीसदी ही बढ़ाया.
पहली बार 8% हुई ब्याज दर
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1977-78 में पहली बार ब्याज दर 8% पहुंची थी. उसके बाद से यह इससे ऊपर ही है. लेकिन, 1978-79 में सबसे बड़ा फायदा पीएफधारकों को मिला. जब सरकार ने इसे 8.25% करने के साथ ही 0.5% का बोनस भी दिया. हालांकि, यह बोनस उन लोगों के लिए लिया था, जिन्होंने कभी अपना पीएफ नहीं निकाला हो. बोनस के रूप में मिलने वाली रकम को सिर्फ 1976-1977 और 1977-1978 के पीएफ पर ही दिया गया.
पहली बार मिला 10% ब्याज
पीएफ पर मिलने वाला ब्याज पहली बार दो डिजिट में 1985-86 में पहुंची. उस दौरान सरकार ने सीधे इसे 9.90% से बढ़ाकर 10.15% कर दिया. इसके बाद और ऊंची छलांग देखने को मिली. जब अगले ही साल 1986-87 के लिए ब्याज दर 11% तय की गई.
10 साल तक नहीं बदली ब्याज दर
पहली बार ऐसा हुआ जब पीएफ ब्याज दर को 10 साल तक बदला नहीं गया. ईपीएफओ ने 1989-90 में पीएफ पर सबसे अधिकतम ब्याज 12% देने का फैसला किया, लेकिन इसके बाद 2000 तक इसे नहीं बदला गया. वित्त वर्ष 2000-01 तक पीएफ पर 12% ही ब्याज मिलता रहा. लेकिन, इसके बाद लगातार नौकरीपेशा की जेब पर कैंची चलती गई. जुलाई 2001 से इसे घटाकर 11% किया गया.
फिर हुआ नौकरीपेशा की जेब पर 'हमला'
2004-05 में फिर नौकरीपेशा की जेबल पर हमला हुआ. पीएफ की ब्याज दर सीधे 1% की कटौती की गई और इसे 9.50% से घटाकर 8.50% कर दिया गया. हालांकि, 2010-11 में इसे बढ़ाकर फिर से 9.50% तय किया गया. लेकिन, 2011-12 में फिर एक बार बड़ी कटौती की गई. इसे सीधे 9.50% से घटाकर 8.25% कर दिया गया. 2014-15 में यह फिर से बढ़कर 8.75% पर पहुंची. 2015-16 में इसे फिर बढ़ाया गया और यह दर 8.80% तक पहुंची. लेकिन, उससे बाद से इसमें लगातार दो बार कटौती हो चुकी है. मौजूदा दर 2017-18 के लिए तय की गई है, जो 8.55% तय की गई है.
क्या है भविष्य निधि फंड?
एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) एक तरह का निवेश है, जो किसी सरकारी अथवा गैर सरकारी कंपनी में कार्यरत कर्मचारी के लिए होता है. पीएफ हर नौकरीपेशा के भविष्य में सहायक होता है. इस फंड को EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) मेनटेन रखता है. कानून के नियमानुसार वह कंपनी जिसके पास 20 से ज्यादा व्यक्ति काम करने वाले हैं, उसका पंजीकरण EPFO में होना जरुरी है. इसके तहत वेतन पाने वाले व्यक्ति की सैलरी का कुछ भाग हर महीने में यहां जमा होता है और यह पैसा रिटायरमेंट के समय काम आता है.
कितना PF कटता है?
EPFO के तहत आने वाली कंपनियों में नौकरी करने वाले कर्मचारी की सैलरी से 12% हिस्सा कटता है. इतना ही हिस्सा कंपनी के खाते से भी जमा होता है. यह ध्यान देने वाली बात यह है कि आपकी सैलरी से कटा पूरा 12% आपके खाते में जाएगा. लेकिन, कंपनी के खाते से कटे 12% हिस्से में से 3.67% हिस्सा PF में और 8.33% EPS (एम्प्लॉयी पेंशन स्कीम) में जमा होता है. उदाहरण के तौर पर आपकी बेसिक सैलरी 6500 से है तो आपकी कंपनी का 8.33% यानि 541 रुपए ही EPS में जमा होंगे. बाकी पैसा EPF में जाएगा. इस तरीके से कुल 24% हिस्सा आपके EPF में जमा होता है.
12:57 PM IST