टैक्स फ्री नहीं है EPF, आपके अकाउंट में जमा हो रहे पैसे के किस हिस्से पर लगता है Tax, यहां जानिए पूरा गणित
EPF Tax deduction: अगर कोई कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (EPF) में एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा कंट्रीब्यूशन करता है तो 2.5 लाख रुपए के ऊपर डिपॉजिट पर मिले ब्याज पर टैक्स (Tax on Interest) कैलकुलेट होगा और इसे चुकाना होगा.
EPF Tax deduction: प्रोविडेंट फंड यानि आपका वो पैसा, जो रिटायरमेंट के लिए जमा हो रहा है. खासकर नौकरीपेशा के लिए ये पैसा काफी मायने रखता है. लेकिन, कई बार लोग विड्रॉल करके अपनी जमा पूंजी को घटा लेते हैं. वहीं, कुछ का मानना है कि बाकी फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के मुकाबले इसमें ज्यादा ब्याज मिलता है तो ज्यादा पैसा निवेश करना चाहिए. हालांकि, दोनों ही बातों पर गौर जरूर करना चाहिए. काफी लोग ये सवाल पूछते हैं कि उनका EPF का पैसा क्या टैक्स फ्री है? जवाब हां और ना दोनों है. दरअसल, EPF अकाउंट में डिपॉजिट 2.5 लाख रुपए से ऊपर पैसे पर मिलने वाला ब्याज पर टैक्स लगता है. 1 अप्रैल 2022 से सरकार ने नियमों में बदलाव किया था. मतलब 1 अप्रैल 2022 से आपके EPF अकाउंट पर जमा होने वाले पैसे पर जो ब्याज मिलेगा उस पर टैक्स लग रहा है. इसे TDS- टैक्स डिडक्शन ऐट सोर्स की कैटेगरी में रखा गया है. लेकिन, इसकी कैलकुलेशन कैसे हो रही है. इसे समझना जरूरी है. इसका आप पर कितना और कैसे असर पड़ेगा?
EPF ब्याज पर टैक्स का गणित
सरकार ने प्रोविडेंट फंड अकाउंट का ज्यादा फायदा उठाने वालों की वजह से यह कदम उठाया है. फाइनेंस एक्ट 2021 (Finance act 2021) में नया प्रावधान जोड़ा गया. अगर कोई कर्मचारी प्रोविडेंट फंड में एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख रुपए से ज्यादा कंट्रीब्यूशन करता है तो 2.5 लाख रुपए के ऊपर डिपॉजिट पर मिले ब्याज पर टैक्स (Tax on Interest) चुकाना होगा. मान लीजिए अगर 3 लाख रुपए अकाउंट में हैं तो अतिरिक्त 50,000 रुपए पर मिले ब्याज पर टैक्स लगेगा. ये एक वित्त वर्ष में जमा राशि के आधार पर होगा. नीचे दी गई टेबल के हिसाब से समझिए.
Period | Monthly contribution (Rs) | Cumulative balance at the end of the month | Interest accrued at 8.15% in | ||
---|---|---|---|---|---|
Non-taxable account (Rs) | Taxable account (Rs) | Non-taxable account (Rs) | Taxable account (Rs) | ||
April 22 | 30,000 | 30,000 | 0 | 204 | 0 |
May 22 | 30,000 | 60,000 | 0 | 407 | 0 |
June 22 | 30,000 | 90,000 | 0 | 611 | 0 |
July 22 | 30,000 | 120,000 | 0 | 815 | 0 |
August 22 | 30,000 | 150,000 | 0 | 1,018 | 0 |
September 22 | 30,000 | 180,000 | 0 | 1,222 | 0 |
October 22 | 30,000 | 210,000 | 0 | 1,426 | 0 |
November 22 | 30,000 | 240,000 | 0 | 1,630 | 0 |
December 22 | 30,000 | 250,000 | 20,000 | 1,697 | 135 |
January 23 | 30,000 | 250,000 | 50,000 | 1,697 | 338 |
February 23 | 30,000 | 250,000 | 80,000 | 1,697 | 540 |
March 23 | 30,000 | 250,000 | 110,000 | 1,697 | 743 |
Balance as on 31.03.23 | 250,000 | 110,000 | 14,121 | 1,755 |
क्या है रूल 9D, जिसमें दो प्रोविडेंट फंड की है बात
नए नियमों के मुताबिक, प्रोविडेंट फंड (Provident fund) में दो अकाउंट मेनटेन किए जा रहे हैं. पहला- टैक्सेबल अकाउंट और दूसरा- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट. प्रोविडेंट फंड कंट्रीब्यूशन (Tax on EPF contribution) पर मिले ब्याज पर टैक्स की कैलकुलेशन होती है. रूल 9D से पता चलता है कि टैक्सेबल ब्याज की गणना कैसे होगी. साथ ही दो अकाउंट को कैसे मैनेज करना होगा और कंपनियों को क्या करना होगा.
Period | Monthly contribution (Rs) | Cumulative balance at the end of the month | Interest accrued at 8.1% in | ||
---|---|---|---|---|---|
Non-taxable account (Rs) | Taxable account (Rs) | Non-taxable account (Rs) | Taxable account (Rs) | ||
April 22 | 40,000 | 40,000 | 0 | 270 | 0 |
May 22 | 40,000 | 80,000 | 0 | 540 | 0 |
June 22 | 40,000 | 1,20,000 | 0 | 810 | 0 |
(As per below working) | -1,20,000 | 0 | 0 | 0 | |
July 22 | 40,000 | 40,000 | 0 | 270 | 0 |
August 22 | 40,000 | 80,000 | 0 | 540 | 0 |
September 22 | 40,000 | 1,20,000 | 0 | 810 | 0 |
October 22 | 40,000 | 1,60,000 | 0 | 1,080 | 0 |
November 22 | 40,000 | 2,00,000 | 0 | 1,350 | 0 |
December 22 | 40,000 | 2,40,000 | 0 | 1,620 | 0 |
January 23 | 40,000 | 2,50,000 | 30,000 | 1,688 | 203 |
February 23 | 40,000 | 2,50,000 | 70,000 | 1,688 | 473 |
March 23 | 40,000 | 2,50,000 | 1,10,000 | 1,688 | 743 |
Balance as on 31.03.23 | 2,50,000 | 1,10,000 | 12,353 | 1,418 |
प्रोविडेंट फंड में दो अकाउंट कैसे?
अब प्रोविडेंट फंड (Provident fund) में दो अकाउंट होंगे. पहला- टैक्सेबल अकाउंट और दूसरा- नॉन-टैक्सेबल अकाउंट.
नॉन टैक्सेबल: ऐसे समझिए कि अगर किसी के EPF अकाउंट में 5 लाख रुपए जमा हैं तो नए नियम के तहत 31 मार्च 2023 तक जमा रकम बिना टैक्स वाले खाते में जमा होगी. इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा.
टैक्सेबल: मौजूदा वित्तीय वर्ष में किसी के EPF अकाउंट में 2.50 लाख रुपए से ज्यादा रकम जमा होती है तो अतिरिक्त राशि पर मिलने वाला ब्याज टैक्स के दायरे में आएगा. इस पर कैलुकेलेशन के लिए बाकी पैसा टैक्सेबल अकाउंट में जमा होगा. उसमें जो ब्याज मिलेगा उस पर टैक्स कटेगा. जैसे ऊपर टेबल में दिखाया गया है.