संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को पीएफ अकाउंट के साथ 6 लाख रुपए तक का लाइफ इन्‍श्‍योरेंस कवर मुफ्त में मिलता है. आपको पीएफ अकाउंट के साथ ही इसे लिंक किया जाता है. खास बात यह है कि अपनी नौकरी की अवधि में कोई भी कर्मचारी इसके लिए कोई कंट्रीब्‍यूशन नहीं देता. कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन यानी EPFO अपने सभी मेंबर्स को यह सुविधा देता है. अगर किसी ईपीएफओ मेंबर्स की आकास्मिक मृत्यु हो जाती है तो नॉमिनी लाइफ इन्‍श्‍योरेंस की राशि को क्‍लेम कर सकता है.

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EDLIS के तहत मिलता है इन्‍श्‍योरेंस कवर

ईपीएफओ मेंबर्स को इन्‍श्‍योरेंस कवर की यह सुविधा इम्‍पलाई डिपॉजिट लिंक्‍ड इन्‍श्‍योरेंस स्‍कीम (EDLIS) के तह‍त मिलती है. इस स्‍कीम के तहत मेंबर्स की मौत होने पर नॉमिनी को अधिकतम 6 लाख रुपए का इन्‍श्‍योरेंस कवर के तहत भुगतान किया जा सकता है. पहले इसकी लिमिट 3,60,000 रुपए थी. बाद में स्‍कीम के तहत इन्‍श्‍योरेंस कवर की लिमिट को बढ़ाकर 6 लाख रुपए किया गया.

कैसे तय होती है इन्‍श्‍योरेंस कवर की राशि

किसी कर्मचारी की मौत होने पर नॉमिनी को पिछले 12 माह की औसत सैलरी की 20 गुना राशि, 20 फीसदी बोनस के साथ मिलती है. इसका मतलब है कि मौजूदा समय में 15,000 रुपए की बेसिक इनकम की सीलिंग के मुताबिक, अधिकतम राशि 3.60 लाख बनती है. 

कैसे मि‍लेगा इंश्योरेंस क्‍लेम

पीएफ खाताधारक की मृत्यु होने की स्थिति में अकाउंट का नॉमिनी इंश्योरेंस अमाउंट के लिए क्लेम कर सकता है. इसके लिए इंश्योरेंस कंपनी को डेथ सर्टिफिकेट, सक्सेशन सर्टिफिकेट और बैंक डिटेल्स देने की जरूरत होगी. अगर पीएफ खाते का कोई नॉमिनी नहीं है तो फिर कानूनी उत्तराधिकारी यह अमाउंट क्लेम कर सकता है. पीएफ खाते से पैसा निकालने के लि‍ए एंप्लॉयर के पास जमा होने वाले फॉर्म के साथ इंश्योरेंस कवर का फॉर्म भी जमा कर दें. इस फॉर्म को एंप्लॉयर सत्यापित करता है. इसके बाद कवर का पैसा मिलता है.

रि‍टायरमेंट के बाद नहीं मि‍लता क्‍लेम

पीएफ अकाउंट पर होने वाले इस इंश्‍योरेंस का दावा सि‍र्फ तभी कि‍या जा सकता है. जब पीएफ खाताधारक की मौत नौकरी के कार्यकाल में हुई हो यानी रि‍टायरमेंट से पहले. इस दौरान चाहे वह ऑफि‍स में काम कर रहा हो या छुट्टी पर हो. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. नॉमिनी पैसा क्लेम कर सकता है.