Employee Pension Scheme: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से जुड़ी बड़ी खबर है. अगले महीने 12 मार्च को होने वाली सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज- CBT की बैठक में बड़ा फैसला हो सकता है. EPFO के सदस्यों को नई पेंशन स्कीम का तोहफा मिल सकता है. EPS-एम्प्लॉई पेंशन स्कीम के तहत कम पेंशन को लेकर उठे मुद्दे के बाद अब संगठन नई फिक्स्ड पेंशन स्कीम लाने पर विचार कर रहा है. नई पेंशन स्कीम (New pension scheme) में सब्सक्राइबर को खुद फिक्स्ड पेंशन राशि चुनने का विकल्प मिलेगा. इसमें सेल्फ एम्लॉयड और प्राइवेट कर्मचारी भी रजिस्टर हो पाएंगे. पेंशन की राशि सैलरी और बची हुई लेंथ ऑफ सर्विस के आधार पर भी तय होगी. जो इस पेंशन स्कीम का विकल्प चुनेगा उसे एम्प्लाई पेंशन स्कीम (EPS) से बाहर कर दिया जाएगा.

15,000 से ज्यादा बेसिक सैलरी वालों को मिलेगा फायदा

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Central board of Trustee की बैठक 12 मार्च को गुवाहाटी में होनी है. इसमें नई पेंशन स्कीम पर चर्चा होगी. हालांकि, ये नई पेंशन स्कीम सभी के लिए नहीं होगी. इसमें 15,000 से ज्यादा बेसिक सैलरी वालों को शामिल किया जाएगा. उनके लिए भी यह ऑप्शनल हो सकती है. सूत्रों की मानें तो लंबे समय से ज्यादा अंशदान पर ज्यादा पेंशन की मांग के चलते EPFO ये विकल्प ला रहा है. CBT की बैठक में बेसिक सैलरी 15,000 रुपए से ज्यादा वाले कर्मचारी और जो कर्मचारी पेंशन स्कीम 1995 (EPS-95) में अनिवार्य रूप से कवर नहीं हैं, उनके लिए इस पर फैसला हो सकता है.

ज्यादा पेंशन का फायदा देने के लिए मिलेगा विकल्प

सूत्रों की मानें तो EPFO की नई फिक्स्ड पेंशन स्कीम की राशी दिए गए अंशदान से तय होगी. आपको जितनी पेंशन चाहिए उसके मुताबिक ही अंशदान करना होगा. EPFO काफी समय से एम्प्लॉई पेंशन स्कीम-1995 (EPS-95) का विकल्प खोज रहा था. EPS में मौजूदा राशि पूरी तरह से टैक्स फ्री है. लेकिन, उसमें मिनिमम पेंशन काफी कम है. महीने के आधार पर सिर्फ 1250 रुपए तक की लिमिट है. ऐसे में ज्यादा पेंशन की सुविधा के लिए नौकरीपेशा को विकल्प देने की तैयारी है. 

EPS में अभी क्या है नियम?

एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) में जब कोई कर्मचारी सदस्य बनता है तो वह EPS का भी सदस्य बन जाता है. कर्मचारी की बेसिक सैलरी का 12% कंट्रीब्यूशन PF में जाता है. कर्मचारी के अलावा इतना ही हिस्सा एम्प्लॉयर के खाते में भी जाता है. लेकिन, एम्प्लॉयर कें कंट्रीब्यूशन में से एक हिस्सा EPS यानि एम्प्लॉई पेंशन स्कीम में जमा होता है. EPS में बेसिक सैलरी का 8.33% कंट्रीब्यूशन होता है. हालांकि, पेंशन योग्य सैलरी की अधिकतम सीमा 15 हजार रुपए है. ऐसे में पेंशन फंड में हर महीने अधिकतम 1250 रुपए ही जमा सकता है. 

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उदहारण से समझें

मौजूदा नियमों के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 15,000 रुपए या उससे ज्यादा है तो पेंशन फंड में 1250 रुपए जमा होंगे. अगर बेसिक सैलरी 10 हजार रुपए है तो योगदान 833 रुपए ही होगा. कर्मचारी के रिटायरमेंट पर पेंशन की कैल्कुलेशन भी अधिकतम सैलरी 15 हजार रुपए ही मानी जाती है. ऐसे में रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी EPS रूल के तहत सिर्फ 7,500 रुपए मैक्सिमम पेंशन मिलती है. 

कैसे होती है पेंशन की कैलकुलेशन?

EPS कैलकुलेशन का फॉर्मूला= मंथली पेंशन=(पेंशन योग्य सैलरी x EPS खाते में जितने साल कंट्रीब्यूशन रहा)/70.

अगर किसी की मंथली सैलरी (आखिरी 5 साल की सैलरी का औसत) 15 हजार रुपए है और नौकरी की अवध‍ि 30 साल है तो उसे सिर्फ हर महीने 6,828 रुपए की ही पेंशन मिलेगी.

लिमिट हटी तो कितनी मिलेगी पेंशन?

अगर 15 हजार की लिमिट हट जाती है और आपकी सैलरी 30 हजार है तो आपको फॉर्मूले के हिसाब से जो पेंशन मिलेगी वो ये होगी. (30,000 X 30)/70 = 12,857