Direct Vs Regular प्लान; सोच-समझकर सही स्कीम चुनें तभी मिलेगा अच्छा रिटर्न
म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश की जब भी बात आती है तो अक्सर दो प्लान के बारे में पता चलता है. डायरेक्ट (Direct) और रेगुलर (Regular) प्लान. अक्सर नये निवेशकों को इन प्लान की ज्यादा समझ नहीं होती और कई बार गलत चुनाव कर लेते हैं.
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट प्लान ज्यादा अलग नहीं है. (Dna)
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट प्लान ज्यादा अलग नहीं है. (Dna)
म्यूचुअल फंड (MF) में निवेश की जब भी बात आती है तो अक्सर दो प्लान के बारे में पता चलता है. डायरेक्ट (Direct) और रेगुलर (Regular) प्लान. अक्सर नये निवेशकों को इन प्लान की ज्यादा समझ नहीं होती और कई बार गलत चुनाव कर लेते हैं. जी बिजनेस के खास शो म्यूचुअल फंड हेल्पलाइन में हम फौजी इनिशिएटिव के CEO कर्नल संजीव गोविला ने डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में फर्क को समझाया. उनके मुताबिक रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट प्लान ज्यादा अलग नहीं है.
डायरेक्ट प्लान
डायरेक्ट प्लान म्यूचुअल फंड में निवेश का तरीका
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट ज्यादा अलग नहीं
दोनों प्लान में आम तौर पर एक्सपेंस रेश्यो का फर्क
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट का एक्पेंस रेश्यो होता है कम
डायरेक्ट प्लान में नहीं होता कोई मध्यस्थ
सेबी ने 7 साल पहले की थी डायरेक्ट प्लान की शुरुआत
रेगुलर प्लान के सस्ते विकल्प के तौर पर किया पेश
रेगुलर प्लान
रेगुलर प्लान डायरेक्ट प्लान से ज्यादा अलग नहीं
रेगुलर प्लान की बिक्री होती है मध्यस्थों के जरिए
म्यूचुअल फंड ड्रिस्ट्रीब्यूटर की मदद से करते हैं निवेश
उन निवेशकों के लिए सही, जिन्हें निवेश की ज्यादा समझ नहीं
TRENDING NOW
दोनों में फर्क?
डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में खर्च का फर्क
एक ही पोर्टफोलियो में निवेश के दो तरीके
दोनों प्लान आप खुद ऑनलाइन ले सकते हैं
दोनों प्लान में सिर्फ एक्सपेंस रेश्यो का है खर्च
कमीशन न होने का फायदा आपको मिलता है
कमीशन न होने से NAV में बढ़त मिलती है
रेगुलर प्लान में कमीशन डायरेक्ट के मुकाबले ज्यादा
कमीशन के चलते लॉन्ग टर्म में रिटर्न होता है कम
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट ज्यादा पारदर्शी
डायरेक्ट में एडवाइजर?
डायरेक्ट हो चाहे रेगुलर, निवेश एक ही तरह से
डायरेक्ट में भी एडवाइजर की भूमिका आती है सामने
डायरेक्ट फंड में निवेशक रख सकता है एडवाइजर
डायरेक्ट के मामले में एडवाइजर RIA होना जरूरी
RIA यानि रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर
RIA सेबी के साथ होते हैं रजिस्टर्ड
डायरेक्ट प्लान के फायदे
डायरेक्ट प्लान में एक्सपेंस रेश्यो कम होता है
कम एक्सपेंस रेश्यो का असर रिटर्न पर भी
रेगुलर के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है
डायरेक्ट का NAV भी ज्यादा होता है
RIA किसी म्यूचुअल फंड कंपनी से जुड़ा नहीं
ऐसे में निवेश को लेकर मिलती है निष्पक्ष राय
रिटर्न में फर्क
रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट में ज्यादा रिटर्न की गुंजाइश
डायरेक्ट में कम होता है एक्सपेंस रेश्यो
कम एक्सपेंस रेश्यो के चलते ज्यादा NAV
आम तौर पर दोनों के रिटर्न में 1-1.25% का अंतर
नये निवेशकों के लिए क्या बेहतर?
डायरेक्ट और रेगुलर, दोनों ही नये निवेशक के लिए बेहतर
नये निवेशक के लिए एडवाइजर की राय लेना होता है अहम
म्यूचुअल फंड की ज्यादा समझ नहीं तो एडवाइजर करेगा मदद
एडवाइजर निवेश को लेकर देगा सलाह, पोर्टफोलियो करेगा मॉनिटर
एडवाइजर का काम है निवेशकों को गलती करने से रोकना
एडवाइजर का काम आपका मुनाफा बढ़ाने के लिए राय देना
ए़डवाइजर की सेवा लेकर ही निवेश करना है बेहतर
एडवाइजर का कमीशन
रेगुलर प्लान में अलग-अलग है कमीशन
सेवा के आधार पर चार्जेज भी होते हैं अलग-अलग
पोर्टफोलियो रिव्यू करने, अन्य सेवाओं के लिए चार्ज
इक्विटी म्यूचुअल फंड में करीब 1 फीसदी कमीशन
डेट फंड में करीब 0.5% कमीशन लगता है
रेगुलर से डायरेक्ट में ट्रांसफर
रेगुलर से डायरेक्ट में ट्रांसफर करना संभव है
ट्रांसफर के दौरान लग सकता है एग्जिट लोड
नियमों के मुताबिक देना पड़ सकता है टैक्स भी
एग्जिट लोड: फंड से तय वक्त से पहले बाहर निकलने का चार्ज
कुछ फंड हाउस कुछ शर्तों के साथ एग्जिट लोड नहीं लेते
07:12 PM IST