डायरेक्ट Vs रेगुलर फंड्स : कहां मिलेगा ज्यादा मुनाफा? जानिए यहां
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए दो प्लान हैं. पहला, डायरेक्ट प्लान और दूसरा रेगुलर प्लान. निवेश के लिहाज से दोनों प्लान के अपने-अपने फीचर हैं. ऐसे में निवेशक को कौन-सा प्लान चुनना चाहिए?
म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए दो प्लान हैं. पहला, डायरेक्ट प्लान और दूसरा रेगुलर प्लान. निवेश के लिहाज से दोनों प्लान के अपने-अपने फीचर हैं. ऐसे में निवेशक को कौन-सा प्लान चुनना चाहिए? 'जी बिजनेस' के खास कार्यक्रम 'म्यूचुअल फंड' हेल्पलाइन में हम आपको डायरेक्ट और रेगलुर प्लान की बारीकियां समझाएंगे. ऑरोवेल्थ के रिसर्च एंड एडवाइजरी के वाइस प्रेसिडेंट वैभव शाह ने बताया कि म्यूचुअल फंड में निवेश के दो तरीके हैं. पहला, डायरेक्ट तो दूसरा रेगुलर प्लान. इसमें एक ही फंड में निवेश के लिए दोनों प्लान हैं. निवेश के नजरिये से दोनों में कुछ फर्क होता है खासकर दोनों प्लान के एक्सपेंस रेशियो में सबसे बड़ा फर्क है.
डायरेक्ट Vs रेगुलर फंड्स : डायरेक्ट प्लान
> डायरेक्ट प्लान म्यूचुअल फंड में निवेश का तरीका
> डायरेक्ट प्लान में आप खुद ही निवेश करते हैं
> डायरेक्ट प्लान में एडवाइजर की कोई भूमिका नहीं
> एडवाइजर नहीं तो किसी तरह का कमीशन भी नहीं
> म्यूचुअल फंड्स का चुनाव आप खुद करते हैं
रेगुलर प्लान
> रेगुलर प्लान डायरेक्ट प्लान से अलग है
> रेगुलर प्लान में आपका निवेश सीधे नहीं होता
> म्यूचुअल फंड ड्रिस्ट्रीब्यूटर की मदद से निवेश करते हैं
> एडवाइजर रेगुलर प्लान में आपके साथ होता है
> एडवाइजर आपको बताता है कि कौन-से फंड्स लेने हैं
> एडवाइजर सेवा के लिए कमीशन लेता है
दोनों में फर्क?
> डायरेक्ट और रेगुलर प्लान में कई फर्क हैं
> डायरेक्ट प्लान में कोई कमीशन नहीं होता
> कमीशन न होने का फायदा आपको मिलता है
> कमीशन न होने से NAV में बढ़त मिलती है
> रेगुलर प्लान की बात करें तो इसमें कमीशन है
> कमीशन के चलते लॉन्ग टर्म में नुकसान होता है
> डायरेक्ट में सारे लेन-देन आपके सामने होते हैं
> रेगुलर में एडवाइजर की भूमिका ज्यादा होती है
> रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट ज़्यादा पारदर्शी
डायरेक्ट प्लान के फायदे
> डायरेक्ट प्लान में एक्सपेंस रेशियो कम होता है
> कम एक्सपेंस रेश्यो का असर रिटर्न पर भी
> रेगुलर के मुकाबले ज्यादा रिटर्न मिलता है
> डायरेक्ट का NAV भी ज्यादा होता है
रेगुलर प्लान के फायदे
> रेगुलर प्लान में एडवाइजर मौजूद होता है
> फंड्स का चुनाव करने में मदद मिलती है
> लक्ष्यों के हिसाब से निवेश करने में मदद
> निवेश की समझ नहीं तो रेगुलर प्लान अच्छे
रिटर्न में फर्क
> रेगुलर के मुकाबले डायरेक्ट में ज्यादा रिटर्न मिलता है
> डायरेक्ट में कम एक्सपेंस रेश्यो होता है
> कम एक्सपेंस रेश्यो के चलते ज्यादा NAV होता है
> आम तौर पर दोनों के रिटर्न में 1-1.25% का अंतर
कौन-सा प्लान बेहतर
> नये निवेशकों को अगर म्यूचुअल फंड की अच्छी समझ
> म्यूचुअल फंड के अलग-अलग पैरामीटर को समझते हैं
> ऐसे में नये निवेशक डायरेक्ट प्लान चुन सकते हैं
> म्यूचुअल फंड निवेश की ज्यादा समझ नहीं है
> नहीं जानते कि फंड का प्रदर्शन कैसे जांचें
> ऐसे में एडवायजर की मदद से निवेश करना सही
> म्यूचुअल फंड की कम समझ तो रेगुलर प्लान बेहतर
एडवाइजर का कमीशन
> एडवाइजर अलग-अलग चार्जेज वसूलते हैं
> सेवा के आधार पर चार्जेज भी अलग-अलग होते हैं
> पोर्टफोलियो रिव्यू करने, अन्य सेवाओं के लिए चार्ज
एग्जिट लोड
> रेगुलर से डायरेक्ट में ट्रांसफर कर सकते हैं
> ट्रांसफर की प्रक्रिया में एग्जिट लोड देना होगा
> एग्जिट लोड: फंड से तय वक्त से पहले बाहर निकलने का चार्ज
> कुछ फंड हाउस कुछ शर्तों के साथ एग्जिट लोड नहीं लेते