Debt Funds: कम जोखिम में ज्यादा रिटर्न देते हैं डेट म्यूचुअल फंड्स, जानिए किस तरह करते हैं काम
How Debt Mutual Funds works: फाइनेंशियल प्लानिंग करते वक्त हमारे सामने निवेश के कई ऑप्शन होते हैं. डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश से आप कम जोखिम में एफडी से बेहतर रिटर्न पा सकते हैं. जानिए क्या है डेट म्यूचुअल फंड्स और कैसे करते हैं ये काम.
How Debt Mutual Funds works: भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए सबसे जरूरी होती है फाइनेंशियल प्लानिंग. भविष्य के खर्चों को संभालने के लिए ही एसआईपी, स्मॉल सेविंग जैसे पोस्ट ऑफिस, एफडी और आरडी आदि में निवेश करते हैं. भविष्य के खर्चों को संभालने के लिए डेट फंड्स में निवेश एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है. डेट फंड म्यूचुअल फंड ही होता है. इसमें निवेशक बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) या फिर स्मॉल सेविंग्स स्कीम (Small Savings scheme) के विक्लप के तौर पर सरकारी सिक्योरिटी, कॉर्पोरेट बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल्स में निवेश कर सकते हैं. फिक्स्ड डिपॉजिट की अवधि खत्म होते ही डेट फंड आपको एफडी रेट पर अच्छा खास रिटर्न देता है.
कभी भी निकाल सकते हैं पैसा
डेट फंड में रिटर्न ज्यादातर मौकों पर एक जैसा रहता है. वहीं, मार्केट के कारण भी इनके रेट्स में ज्यादा बदलाव नहीं होता है. यदि आप रिस्क लेने से डर रहे हैं तो ये आपके लिए सुरक्षित ऑप्शन हो सकता है. इसे लिक्वड फंड भी कहा जाता है. इसका कारण है कि इसमें लिक्विडिटी की कोई समस्या नहीं होती है. इसका मतलब है कि आप जब चाहे अपना पैसा बाहर निकाल सकते हैं. यदि आपकी आय स्थिर नहीं है तो ये आपके लिए निवेश का बेहतर विकल्प हो सकती हैं. हालांकि, आपको बता दें कि यदि तीन साल से पहले डेट फंड्स यूनिट्स को बेचने के बाद जो मुनाफा होता है उसमें शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है.
कम जोखिम में मिलता है बेस्ट रिटर्न
म्युचुअल फंड में निवेश को हमेशा से ही फायदे का सौदा माना गया है. एफडी या दूसरे टर्म डिपॉजिट के मुकाबले म्युचुअल फंड में निवेश करने से ज्यादा रिटर्न मिलता है. वह डेट फंड में इक्विटी फंड की तुलना में कम रिस्क होता है. वहीं, इसे शेयर बाजार के उतार और चढ़ाव से ज्यादा मतलब नहीं होता है. डेट फंड की एक तय मैच्युरिटी डेट होती है. इस कारण पैसा इक्विटी के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित होता है. हर म्यूचुअल फंड्स की तरह डेट फंड्स की भी कई कैटेगरी होती हैं. कुछ शॉर्ट टर्म सिक्युरिटीज में निवेश करती है. दूसरी लंबी अवधि के बॉन्ड में निवेश करती है. ध्यान रहे कि हर कैटेगरी में जोखिम भी अलग-अलग होता है.
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डेट फंड्स को तीन साल बाद यदि आप भुनाते हैं तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. यदि आप लिक्विड फंड्स से पैसा निकालना चाहते हैं तो आपको आवेदन करना होगा. आवेदन करने के एक दिन के अंदर ही पैसा आपके खाते में आ जाएगा.