मौसम की मार से नहीं होगा नुकसान, नारियल पेड़ बीमा योजना का फायदा उठाएं
नारियल खेती का बीमा करने के लिए बीमा योजना पायलट स्तर पर लागू की जाती है.
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बीमा प्रीमियम और बीमा राशि तय करने के लिए पेड़ों को दो आयु ग्रुप में बांटा जाता है. (Image-coconut board)
नारियल का पेड़ 60 से 100 फुट तक ऊंचा होता है. इतनी ऊंचाई पर फल लगने के बाद भी नारियल की खेती को तमाम तरह के खतरे होते हैं. अन्य फसलों की तरह नारियल की खेती को भी
मौसम में बदलाव, कुदरती आपदाएं, कीट और बीमारियों का खतरा रहता है.
इन तमाम आपदाओं के चलते कभी-कभी किसी इलाके में नारियल की पूरी खेती चौपट हो जाती है.
नारियल कई साल वाली फसल है और इस फसल को थोड़ा-बहुत नुकसान पहुंचने पर भी किसानों को भारी चपत लगती है.
इस तरह के नुकसानों से किसानों को बचाने के लिए सरकार ने नारियल पेड़ बीमा योजना शुरू की हुई है. इस योजना का फायदा उठाकर किसान अपने नुकसान की काफी हद तक भरपाई कर सकते हैं.
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नारियल पेड़ बीमा योजना का मकसद
- कुदरती आपदा या कीट-बीमारियों से होने वाले नुकसान के समय किसानों की मदद करना.
- पेड़ों के अचानक खत्म होने पर होने वाले नुकसान होने वाले किसानों को राहत दिलाना.
- नारियल की खेती के फिर से रोपाई और पेड़ों को फिर से जीवत करने के काम को बढ़ावा देना.
नारियल खेती का बीमा करने के लिए बीमा योजना पायलट स्तर पर लागू की जाती है. लंबी, बौनी और संकर सहित सभी किस्मों के नारियल पेड़ों को बीमा सुरक्षा मिलती है. चूंकि बौनी और संकर किस्मों में रोपाई के चौथे साल से फल लगना शुरू होते हैं, इसलिए इन किस्मों के नारियल पेड़ों को 4-60 वर्ष की आयु तक बीमा सुरक्षा मिलता है. लंबी किस्म के नारियल पेड़ों को 7 से 60 वर्ष की आयु तक बीमा का लाभ मिलता है. कमजोर और बूढ़े पेड़ों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है.
कौन ले सकता है फायदा
इस योजना में ऐसे नारियल किसान को शामिल किया जाता है, जिनकी जमीन में बौने-संकर पेड़ों की आयु 4-60 वर्ष और लंबे पेड़ (आयु वर्ष 7-60 ) हों और किसान के पास कम से कम 10 फलदार पेड़ होने चाहिए.
बीमा प्रीमियम और बीमा राशि तय करने के लिए पेड़ों को दो आयु ग्रुप 4-15 वर्ष तक और 16-60 वर्ष तक, में बांटा जाता है.
जिस किसान ने नारियल पेड़ का बीमा करवाया है उसके द्वारा बीमा प्रस्ताव में पेड़ों की आयु ग्रुपों के बारे में घोषणा करनी होती है.
भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड पॉलिसी का समय समाप्त होने से पहले या दावा के भुगतान से पहले किसी भी वक्त, तथ्यों का पता करने के लिए बीमा कराए पेड़ों की जांच कराएगी. यदि बीमा कराए व्यक्ति ने पेड़ की आयु या किसी अन्य तथ्यों के बारे में गलत घोषणा दी है तो बीमा रद्द माना जाएगा.
बीमा कराने के इच्छुक किसान सीधे कृषि बीमा कंपनी के एजेंटों से या बागवानी विभाग के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं. किसान प्रीमियम सब्सिडी घटाकर शेष राशि नकद या भारतीय कृषि बीमा कंपनी लिमिटेड के नाम चेक से अदा करेगा.
जिन खतरों के लिए पेड़ का बीमा कराया गया है उनसे पेड़ों की मृत्यु होने या पैदावार कम होने पर बीमा पॉलिसी की राशि का भुगतान किया जाएगा. यदि पेड़ की मृत्यु नहीं होती है ऐसे मामल में नारियल विकास बोर्ड या कृषि-बागवानी विभाग से पेड़ अनुत्पादक हो जाने का कारण बताते हुए प्रमाणपत्र पेश करने पर बीमा राशि का भुगतान किया जाएगा.
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कोई पेड़ तभी अनुत्पादक घोषित किया जा सकता है जब उन खतरों के बाद पेड़ की बढ़वार रुक जाती है और पेड़ का फिर से जीवत हो पाना संभव न हो. बीमा दावे के लिए ऐसे पेड़ों को काटना होगा. अगर किसान ऐसे पेड़ों को काटना नहीं चाहता और वैसे ही रखना चाहता है तो बीमा राशि के 50 प्रतिशत की दावे से कटौती की जाएगी.
इन नुकसान के लिए कराएं बीमा
- खराब मौसम जैसे- तूफान, ओला-वृष्टि, चक्रवात, बवंडर, भारी वर्षा, बाढ़ से नुकसान होने पर.
- कीटों और बीमारी से पेड़ पूरी तरह खराब होने से होने वाले नुकसान के लिए
- वन में आग लगना, झाड़ियों में आग लगना, बिजली गिरना समेत आग की दुर्घटना के लिए.
- सूखा पड़ना और उससे होने वाले वाले नुकसान के लिए.
04:47 PM IST