नई दिल्ली : कैंसर ऐसा रोग है, जो आने से पहले कोई संकेत नहीं देता. दुर्भाग्य से कैंसर एक ऐसी बीमारी है कि जो न सिर्फ किसी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है, बल्कि उसके पूरे परिवार को वित्तीय रूप से प्रभावित करती है. डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के मुताबिक, भारत में कैंसर की दर फिलहाल सर्वाधिक उच्च स्तर पर है, जोकि 2017 में 15 लाख थी और साल 2020 में बढ़कर 17.3 लाख होने की उम्मीद है. 

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डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि प्रत्येक भारतीय परिवार में कम से कम कैंसर का एक मरीज होगा, जबकि कुछ मीडिया रिपोर्टो के अनुसार हर छह या आठ में से एक भारतीय कभी ना कभी कैंसर की चपेट में आएगा. 

कैंसर पर अनुसंधान के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी ने भारत को अधिकतम 'हेमाटोलॉजिकल कैंसर मरीजों' में तीसरे नंबर पर रखा है. अगर आपका यह मानना है कि कैंसर एक अनुवांशिक बीमारी है, तो आपको यह पता होना चाहिए कि सभी प्रकार के कैंसर में 70 से 90 फीसदी तक के मामले जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक से जुड़े होते हैं. 

इन सबके अलावा कैंसर होने पर इसका इलाज काफी महंगा है. इसलिए यह सलाह दी जाती है कि कैंसर का बीमा प्लान अलग से खरीदना चाहिए. भारतीय बाजार में उपलब्ध ज्यादातर कैंसर बीमा प्लान इस बीमारी का पता लगने पर एकमुश्त भुगतान करते हैं. 

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के एसोसिएट निदेशक और क्लस्टर प्रमुख संतोष अग्रवाल का कहना है, "कैंसर बीमा योजना एक निश्चित लाभ योजना है, जिसमें बीमित व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता के बिना बीमाधारक को बीमा राशि का भुगतान किया जाता है. कैंसर बीमा प्लान सभी स्टेज के कैंसर को कवर करता है तथा हर स्टेज पर मुआवजा प्रदान करता है. इसके अलावा ये योजनाएं माइनर स्टेज कैंसर, मल्टीपल असंबद्ध कैंसर दावे और माइनर लाइफ कवर जैसे अतिरिक्त लाभ भी प्रदान करते हैं. इसमें कोई शक नहीं है कि कैंसर बीमा योजना आपकी बीमारी के इलाज के दौरान आपकी संपत्ति और बचत की रक्षा करने का सबसे अच्छा तरीका है."

उन्होंने कहा कि कैंसर बीमा योजना खरीदते वक्त अधिकतम बीमित राशि वाली योजना ही खरीदनी चाहिए. साथ ही संपूर्ण बीमित राशि के विवरण को समझना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि हर तरह के कैंसर के इलाज का तरीका अलग-अलग होता है. अधिकतम बीमित राशि से बीमाधारक अपनी पूरी जिन्दगी के बचत को खर्च किए बिना नवीनतम तकनीक के साथ सबसे अच्छा कैंसर उपचार प्राप्त कर सकता है. 

उन्होंने कहा, "भारत में इलाज की लागत को देखते हुए कम से कम 20-25 लाख रुपये का प्लान खरीदना अच्छा रहेगा."

अग्रवाल ने कहा कि कैंसर बीमा प्लान लेते वक्त इसकी प्रतीक्षा अवधि पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि इस अवधि से पहले बीमा का दावा नहीं कर सकते. इसलिए ऐसी पॉलिसी खरीदें, जिसकी प्रतीक्षा अवधि कम से कम हो. समान्यत: अधिकतम बीमा योजनाओं की प्रतीक्षा अवधि 180 दिन से 365 दिन के बीच होती है.

उन्होंने कहा कि कैंसर बीमा प्लान के अंतर्गत कैंसर के सभी चरणों में बीमित राशि का भुगतान किया जाता है, जोकि शुरुआती चरण में 20 से 25 फीसदी होता है, तथा एडवांस स्टेज में 100 फीसदी किया जाता है, हालांकि कई पॉलिसियों में बीमित राशि का 150 फीसदी तक भुगतान किया जाता है.

अग्रवाल ने बताया कि कुछ स्थितियों में कंपनियां कैंसर का बीमा नहीं करती है, जिसमें अगर बीमा लेने से पहले से कैंसर हो, त्वचा कैंसर हो, यौन संक्रमित बीमारियां, एचआईवी, या एड्स के कारण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से हुआ कैंसर, किसी जन्मजात कारण के हुआ कैंसर, जैविक, परमाणु या रासायनिक प्रदूषण से हुआ कैंसर, विकिरण या रेडियोधर्मिता के संपर्क में आने से हुआ कैंसर शामिल है. 

(आईएएनएस से)