फरवरी खत्‍म होने वाली है और मार्च में होली का त्‍योहार है. फेस्टिव सीजन में तमाम जगहों पर कई तरह के ऑफर्स आते हैं. इन ऑफर्स के बीच लोग बेहतर डील करने की फिराक में रहते हैं. होली के ऑफर्स के बीच अगर आप नई कार खरीदने की प्‍लानिंग कर रहे हैं, तो आपको कुछ बातें अच्‍छे से समझ लेनी चाहिए, ताकि आप कहीं मात न खाएं और आपको अपने किसी भी फैसले पर पछतावा न हो. यहां जानिए 50/20/4 के फॉर्मूले के बारे में, ये आपके बजट को बैलेंस रखने में काफी मददगार होगा.

समझिए क्‍या है फॉर्मूला

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इस फॉर्मूले में 50 का मतलब आपकी वार्षिक आय के 50 प्रतिशत से है. अगर आप अपने परिवार के बजट को संतुलित रखना चाहते हैं तो आपको उतनी कीमत की ही कार खरीदनी चाहिए, जितनी कीमत की आपकी जेब परमीशन देती है. फाइनेंशियल रूल कहता है कि कार आपकी एनुअल इनकम से आधी कीमत की होनी चाहिए. मान लीजिए कि आपका सालाना पैकेज 14 लाख रुपए का है, तो आपको 7 लाख से ज्‍यादा की कार नहीं खरीदनी चाहिए. इससे महंगी कार खरीदने पर आपका बजट डगमगा सकता है. 

20 का मतलब 20 फीसदी डाउन पेमेंट से है. मतलब अगर आप 7 लाख की कार खरीदने जा रहे हैं तो 7 लाख का 20 फीसदी यानी 1,40,000 रुपए हर हाल में डाउन पेमेंट के तौर पर दें. इससे ज्‍यादा दे सकते हैं तो अच्‍छी बात है, लेकिन कम न दें. वहीं फॉर्मूले में 4 का मतलब लोन के टेन्‍योर से है. अगर आप कार लोन लेकर कार खरीद रहे हैं आपके कार लोन की अवधि 4 सालों से ज्‍यादा नहीं होनी चाहिए. 

ये बातें भी समझना जरूरी

- अगर आप कार खरीदने के लिए लोन ले रहे हैं तो लोन लेने से पहले अलग-अलग बैंकों में ब्‍याज दरों की तुलना करें. ब्‍याज दरों में मामूली सा अंतर भी आपकी ईएमआई पर बड़ा फर्क डाल सकता है.

- कई जगहों पर प्रीक्‍लोजर पेनाल्‍टी ली जाती है. इसलिए लोन प्रीक्‍लोजर के नियम जरूर जान लें. अगर आपके पास कभी इकट्ठा पैसा आता है तो आप लोन को समय से पहले बंद करवा सकते हैं.

- जब भी आप किसी बैंक से लोन लेते हैं तो लोन से पहले बैंक प्रोसेसिंग फीस वसूलते हैं. ये प्रोसेसिंग फीस कम या ज्‍यादा हो सकती है. इसके बारे में पता करें.

- फेस्टिव सीजन में तमाम बैंकों में भी कई ऑफर्स आते हैं. अलग-अलग बैंकों में ऑफर्स और स्‍कीम्‍स के बारे में पता कर लें.