Buying Vs Renting: घर तो हर शख्स खरीदना चाहता है, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या वाकई उसे घर खरीदना भी चाहिए या नहीं? आए दिन इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर बहस होती ही रहती है कि घर खरीदें या फिर किराए पर रहें. अलग-अलग लोग अलग-अलग सलाह देते दिख जाते हैं. कुछ का मानना है कि घर खरीदना बहुत जरूरी है तो कुछ घर को एक बोझ की तरह समझते हैं, खासकर तब जब इसे होम लोन लेकर खरीदना पड़े. तो आइए समझते हैं हमें घर खरीदना चाहिए या फिर किराए पर रहने में है फायदा. 

किसे खरीदना चाहिए घर?

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घर खरीदने के लिए सबसे जरूरी चीज ये है कि आपके पास उसे खरीदने के लिए पैसे हों या होम लोन चुकाने के पैसे हों. अगर आप ये शर्त पूरी करते हैं तो आपको दूसरी चीज ये देखनी चाहिए कि क्या वह आपका पहला घर है या आप सिर्फ निवेश के बारे में सोच रहे हैं. अगर आप अपने रहने के लिए घर खरीदना चाहते हैं तो फिर आपको एक घर तो जरूर खरीदना चाहिए. हालांकि, कोशिश करनी चाहिए कि कम से कम होम लोन लेने की जरूरत पड़े और उसे चुकाने की अवधि भी कम रहे. जितनी कम अवधि में आप लोन चुकाएंगे, आपको उतना ही कम ब्याज चुकाना पड़ेगा. 

कैल्कुलेशन भी समझ लें

मान लेते हैं कि आप 20 साल के लिए एक घर खरीदते हैं, जिसकी कीमत 50 लाख रुपये है. ऐसे में आपको कम से कम 20 फीसदी यानी 10 लाख रुपये तो डाउन पेमेंट के लिए ही चाहिए होंगे. वहीं बाकी का 40 लाख रुपये आप बैंक से होम लोन ले सकते हैं. मान लेते हैं कि आपको 9 फीसदी की दर पर होम लोन मिलेगा. अब हमें कम ईएमआई बनवाने को भी ध्यान में रखना होगा. ऐसे में कोशिश करें कि 20 साल की अवधि के लिए ही ईएमआई बनवाएं. ऐसे में आपकी ईएमआई करीब 36 हजार रुपये की बनेगी.

अगर आप 20 फीसदी के टैक्स स्लैब में आते हैं तो आप ईएमआई में चुकाए गए होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूप पाने के हकदार होंगे. ऐसे में आपकी इफेक्टिव ईएमआई करीब 7.2 फीसदी की दर से लगभग 31,500 रुपये ही बनेगी. इस तरह होम लोन की ईएमआई पर आप 20 साल में 7.2 फीसदी की दर से लगभग 36 लाख रुपये का सिर्फ ब्याज चुकाएंगे, बशर्ते इस दौरान हमेशा होम लोन की ब्याज दर एक ही बनी रही. 

इसके अलावा आपको इन 20 सालों में अपने घर को मेंटेन करने पर भी पैसे खर्च करने होंगे. मान लेते हैं कि आपको हर महीने औसतन 2000 रुपये का खर्च करना होगा. यह खर्चे भी हर साल 6-8 फीसदी तक बढ़ सकते हैं. अगर अधिकतम 8 फीसदी के हिसाब से देखें तो आपको 20 साल में करीब 12 लाख रुपये तो सिर्फ मेंटेनेंस पर खर्च करने होंगे. इस तरह एक घर पर 20 साल में आपका कुल निवेश हो जाता है करीब 98 लाख (50+36+12) रुपये.

अच्छी बात ये है कि 20 साल बाद आपका अपना एक घर हो जाएगा, जिसे अगर आप बेचेंगे तो मुनाफा कमा सकते हैं. अगर प्रॉपर्टी के दाम 7-8 फीसदी की दर से भी बढ़े तो 20 साल बाद आपका घर करीब दो से ढाई करोड़ रुपये का हो जाएगा. मतलब आपको एक से डेढ़ करोड़ रुपये से भी अधिक का फायदा हो जाएगा.

किसे किराए पर रहना चाहिए?

अगर आपकी नौकरी या कमाई स्टेबल नहीं है तो आपको रेंट पर ही रहना चाहिए. वहीं अगर आपकी जॉब ऐसी है, जिसमें आपको जल्दी-जल्दी शहर बदलने पड़ते हैं तो आपके लिए किराए पर रहना ही बेहतर है. इसका ये फायदा होता है कि आप पर हर महीने बहुत ही कम पैसों का बोझ आता है. वहीं अगर आप होम लोन ले लेते हैं तो आपको हर महीने ईएमआई देनी होगी. वहीं अगर आप कम अवधि के लिए घर खरीदने की सोच रहे हैं तो भी आपको घर ना खरीदने पर विचार करना चाहिए.

इसका कैल्कुलेशन भी समझ लें

अगर आप किराए पर रहते हैं तो दिल्ली-एनसीआर जैसी जगह में आपको हर महीने करीब 15-20 हजार रुपये तो रेंट के लिए चुकाने पड़ेंगे. मान लेते हैं कि आप अगर सस्ते घर में भी रहेंगे तो करीब 15 हजार रुपये तो खर्च करने ही होंगे. अगर आप 20 फीसदी टैक्स स्लैब में हैं तो आपका इफेक्टिव रेंट करीब 12 हजार रुपये होगा, क्योंकि आपको एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस का फायदा भी मिलेगा. इस तरह आपको सालाना करीब डेढ़ लाख रुपये चुकाने होंगे. हर साल किराया करीब 10 फीसदी की दर से तो बढ़ेगा ही. ऐसे में आप 20 साल में करीब 90 लाख रुपये सिर्फ किराए पर खर्च कर देंगे. 

वहीं दूसरी ओर घर ना खरीद कर आपने जो डाउन पेमेंट के 10 लाख रुपये बचाए हैं, उन्हें पहले ही दिन से शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इस पर आपको औसतन 12 फीसदी का ब्याज तो मिल ही जाएगा. इस तरह 20 साल में आपके 10 लाख रुपये करीब 1 करोड़ रुपये बन जाएंगे. अब इस कैलकुलेशन से आप खुद ही तय कर लें कि आपको घर खरीदना है या किराए पर रहना है.