पहले की तुलना में आज के समय में घर खरीदना आम लोगों के लिए आसान है. एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घर खरीदने के लिए यह सबसे अच्छा समय है. जानी-मानी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक, देश के अधिकांश शहरों में घर खरीदना पहले के मुकाबले आसान हुआ है.

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2018-19 में प्रॉप्रटी की कीमत घटकर सालाना पारिवारिक आय के छह से आठ गुने पर आ गई है. पांच साल पहले यह लागत 11 से 13 गुना थी. इसे वहन करने की क्षमता यानी एफोर्डिबिलिटी. इसका यह मतलब है कि कितने साल की सालाना कमाई से घर खरीदा जा सकता है. यह प्रॉप्रटी की लागत और सालाना पारिवारिक आय का अनुपात है. 

घर खरीदने के लिए खर्च होने वाली रकम में आई कमी

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि आज घर खरीदने पर खर्च होने वाली रकम में काफी कमी आई है. बिल्डर आज बाजार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कम एरिया वाले घरों की योजनाएं ला रहे हैं. हालांकि, इससे आवासीय क्षेत्र में पूंजी की वैल्यू पर प्रभाव पड़ा है. छोटे बाजारों में इसमें पांच से 20 प्रतिशत की कमी आई है.

मध्यम आय समूह के ग्राहकों की कहानी अलग

एचडीएफसी के मुताबिक, करीब 14 लाख रुपये वाले मध्यम आय समूह के ग्राहकों का एफोर्डिबिलिटी फैक्टर घटकर 3.7 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है. यानि, 14 लाख रुपये की सालाना आय वाला कोई व्यक्ति या परिवार अपनी 3.7 साल की कमाई से घर खरीद सकता है. इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, वर्ष 1995 में जब एफोर्डिबिलिटी फैक्टर 22 था, तब सालाना 1.20 लाख रुपये कमाने वाले मध्यम आय समूह के परिवार को एमआईजी फ्लैट खरीदने के लिए 22 साल की सैलरी की जरूरत थी. 

फ्लैट की कीमत करीब 26 लाख मानी गई है. एचडीएफसी के चार्ट के मुताबिक, एमआईजी की कीमत दोगुनी होकर करीब 50 लाख हो गई है. लेकिन, इस समूह के परिवार की आय आज करीब 14 लाख पहुंच गई है. घरों की अधिक उपलब्धता की वजह से ऐसा हुआ है. एमआईजी सेगमेंट में घरों की उपलब्धता में काफी प्रगति हुई है.