पुरानी गाड़ी खरीदते समय इंश्योरेंस लेना है जरूरी, जानें Second Hand Car Insurance के बारे में
कार आपकी सबसे वैल्यूएबल खरीदी हुई चीजों में से एक है. चाहे कार एकदम नई हो या पुरानी, आप ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ये अच्छी तरह से सुरक्षित है.
मोटर बीमा पॉलिसी आपकी कार को किसी भी नुकसान से बचाने का सबसे किफायती तरीका है. भारतीय सड़कों पर चलने वाले सभी मोटर वाहनों के लिए एक थर्ड पार्टी लाएबिलिटी इंश्योरेंस कवर जरुरी है. आपको अपनी कार के लिए फाइनेंशियल प्रॅाटेक्शन वाला कार इंश्योरेंस लेना चाहिए. याद रखें कि थर्ड-पार्टी लाएबिलिटी ओनली इंश्योरेंस किसी भी मरम्मत के लिए भुगतान नहीं करेगा जिसकी किसी दुर्घटना के बाद आपकी कार को जरुरत होती है. सेकेंड हैंड कार बीमा एक इंश्योरेंस प्रॅावाइडर और सेकेंड हैंड कार में बीमा योग्य किसी भी इंसान के बीच एक एग्रीमेंट है. कार की उम्र के आधार पर बीमा पॉलिसी में बदलाव नहीं होता है. कुछ ऐड-ऑन कवर तीन या पांच साल से पुरानी कार के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं. इंश्योरर आपको भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए पॉलिसी ड्यूरेशन के दौरान आपकी कार को हुई किसी भी क्षति के लिए पेमेंट करने का वादा करता है. किसी थर्ड पार्टी का किया गया कोई भी क्लेम जिसे आपकी कार से जुड़े किसी दुर्घटना के कारण नुकसान हुआ है, वह भी इसमें कवर किया जाता है. बीमाकर्ता किसी भी क्लेम का मुकाबला करने और थर्ड पार्टी के खिलाफ क्लेम दायर करने के लिए कानूनी सहायता भी प्रदान करेगा.
सेकंड हैंड व्हीकल इंश्योरेंस क्यों है जरुरी
मोटर वाहन अधिनियम,1988 के अनुसार वैलिड थर्ड पार्टी लाएबिलिटी कार इंश्योरेंस कवर के बिना कार चलाना अपराध है. इस प्रकार का बीमा कवर आपके साथ दुर्घटना में शामिल किसी तीसरे पक्ष को हुए नुकसान के लिए भुगतान करता है. इसलिए अगर आप चाहते हैं कि इंश्योरर आपको डेमेज के लिए पे करे. तो आपको इस रिस्क से बचने के लिए सेकंड हैंड कार इंश्योरेंस लेना चाहिए.
थर्ड पार्टी रिस्क
अगर आपकी कार से हुई दुर्घटना में किसी तृतीय-पक्ष को कोई नुकसान होता है. तो आपको मरम्मत की लागत देनी होगी. और किसी थर्ड पार्टी के घायल इंसान के लिए जरुरी मेडिकल खर्च का भुगतान भी करना होगा. तृतीय-पक्ष की मृत्यु या डिसएबिलिटी के मामले में आपकी लाएबिलिटी बहुत ज्यादा होगी. कार इंश्योरेंस इन रिस्क को कवर करेगा.
चोरी
कार चोरी होने से आपको बहुत नुकसान होता है. अपनी कार बीमा पॉलिसी में सही इंश्योर्ड डिक्लेयर्ड अमाउंट सेट करके आप कार रिप्लेसमेंट के लिए फाइनेंस की व्यवस्था कर सकते हैं.
प्राकृतिक आपदाएं
बाढ़, भूकंप, चट्टानें खिसकना और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएं कभी भी आ सकती हैं. ऐसी आपदा के दौरान आपकी कार को नुकसान हो सकता है. एक बीमा ऐसी घटना से होने वाले फाइनेंशियल नुकसान से आपको सिक्योर करेगा.
मानव निर्मित आपदाएं
मानव निर्मित आपदा जैसे दंगा, तोड़फोड़ या आग लगने से आपकी कार को भी नुकसान हो सकता है. ऐसे में एक कार इंश्योरेंस आपको फाइनेंशियल सुरक्षा देगा.
सेकंड हैंड कार इंश्योरेंस के तहत क्या डिडक्शन हैं
सेकंड हैंड कार बीमा नई कार बीमा पॉलिसी के समान जरुरी डिडक्शन के अधीन है. इसकी कीमत आपकी कार की क्यूबिक कैपिसिटी के आधार पर IRDAI द्वारा निर्धारित की जाती है. ये 1500cc तक की क्यूबिक क्षमता वाली कारों के लिए 1,000 रुपये और अधिक क्यूबिक क्षमता के लिए 2,000 रुपये निर्धारित है. आप अपनी कार बीमा कंपनी द्वारा लगाए गए प्रीमियम को कम करने के लिए वॅालिंटरी डिडक्टिबल का ऑप्शन भी चुन सकते हैं. इसके अलावा, कार के पुर्जों और एक्सेसरीज पर डिप्रिसिएशन कॅास्ट भी आपको देनी होती है. इनकी गणना IRDAI के गाइडलाइंस के अनुसार की जाती है. कार पेंट के लिए नायलॉन, प्लास्टिक के हिस्सों, रबड़ के टायर और ट्यूब, एयर बैग और बैटरी पर 50 प्रतिशत डिप्रिसिएशन, पेंट की सामग्री लागत पर 50 फीसदी डिप्रिसिएशन और फाइबरग्लास के लिए 30% डिप्रिसिएशन लगता है.
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सेकंड हैंड कार बीमा खरीदने के लिए क्या डॅाक्यूमेंट लगता हैं.
इसके लिए आईडी जैसे कि पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, आधार, पैन कार्ड, सरकार की तरफ से जारी फोटो आईडी हो सकती है. एड्रेस प्रूफ के लिए पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, बैंक या पोस्टऑफिस पासबुक होना चाहिए. इसके साथ हाल ही का पासपोर्ट साइज फोटो, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और कार का ऑफिशियल परचेज इनवॅाइस भी होना जरुरी है.