Budget 2024, Insurance Industry Demand: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) आगामी 23 जुलाई को आम बजट 2024 (Union Budget 2024) पेश करेंगी. बजट पर आम आदमी से लेकर इंडस्ट्री की नजर है. हर सेक्टर को उम्मीद है कि उनके लिए इस बजट से कुछ राहत की खबर आएगी. इंश्योरेंस इंडस्ट्री की बात करें तो उसका मानना है कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की लागत कम करने की जरूरत है. साथ ही इसका विस्तार ज्यादा से ज्यादा करने के लिए टैक्स की दरों को कम किया जाना चाहिए. हेल्थ इंश्योरेंस हो या लाइफ इंश्योरेंस इन पर GST की मिनिमम टैक्स करना जरूरी है. 

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श्रीराम जनरल इंश्योरेंस कंपनी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एंड CIO अश्वनी धनावत का कहना है, हमें उम्मीद है कि आगामी बजट में इकोनॉमिक ग्रोथ और पब्लिक वेलफेयर के लिए जरूरी कई अहम सेक्टर्स पर सरकार का फोकस होगा. इंश्योरेंस सेक्टर के लिए हाई बजटीय आवंटन की संभावना का स्वागत करते हैं. यह IRDAI के 'इंश्योरेंस फार ऑल' मिशन को हासिल करने में एक बड़ी आबादी व्यापक कवरेज और प्रभावी सॉल्यूशन उपलब्ध करने की क्षमता को बढ़ाएगा.

पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के हेड ऑफ इनवेस्टमेंट्स विवेक जैन का कहना है, इंश्योरेंस सेक्टर को बजट से काफी उम्मीदें हैं. खासकर, पेंशन प्रोडक्ट्स के लिए टैक्सेशन पर दुबारा विचार करना चाहिए. रिटायरमेंट पॉलिसी को और ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए इंश्योरेंस इंडस्ट्री सरकार से पेंशन प्रोडक्ट्स को नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के समान टैक्स बेनिफिट देने की मांग कर रही है. इससे भारत के बुजुर्गों के लिए सुरक्षित वित्तीय भविष्य सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी. 

GST घटे, बढ़े डिडक्शन लिमिट

अश्वनी धनावत का कहना है, हेल्थकेयर लागत लगातार बढ़ रही है. इसे देखते हुए हमें उम्मीद है कि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए डिडक्शन लिमिट में बढ़ोतरी होगी. इससे बीमाधारकों को राहत मिलेगी. इसके अलावा, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी पर GST कम करने की जरूतर है. इससे ये जरूरी प्रोडक्ट्स सस्ते होंगे और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इनकी पहुंच बन पाएगी. 

पॉलिसीबाजार के हेड (टर्म इंश्योरेंस) ऋषभ गर्ग का कहना है, धारा 80C के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन का दायरा बढ़ाना चाहिए. यह लंबे समय से 1.5 लाख है. इसके अलावा, GST रेट पर दुबारा विचार करना चाहिए. अभी हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस के लिए 18 फीसदी है. इस लिमिट को 5% तक कम करना चाहिए. 

इंडस्ट्री का कहना है क‍ि हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाना चाहिए. खासकर व्यक्तियों, उनके जीवनसाथी और आश्रित बच्चों के लिए टैक्स लिमिट को 50,000 रुपये तक और वरिष्ठ नागरिक माता-पिता के लिए सीमा को 1 लाख रुपये तक करना चाहिए. साथ ही हेल्थ सेविंग अकाउंट (HSA) टैक्स फ्री हों. इन बदलावों से हेल्थ और वेलनेस के लिए प्रोत्साहित किया जा सकेगा.