Budget 2022 Expectation: वित्त मंत्रालय (Finance Minister) ने साल 2018 के बजट में 13 साल बाद एक बार फिर स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) का फायदा दिया था. उस समय ट्रैवल अलाउंस (Transport) और मेडिकल रिइंबर्समेंट (Medical Expanses) पर दी जाने वाली छूट को हटा लिया गया था. इसकी जगह स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) को फिर से इंट्रोड्यूस किया गया और एक साल बाद इसमें और बढ़ोतरी भी की गई. सरकार अगर इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ा देती है तो यह सैलरी वालों के लिए अच्छा फैसला हो सकता है. अलग-अलग रिपोर्ट्स में उम्मीद भी की जा रही है कि वित्तमंत्री टैक्सपेयर्स के लिए ऐसा कर सकती हैं.

KPMG ने किया अपने नोट में जिक्र

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KPMG ने अपने एक नोट में स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard deduction) को लेकर जिक्र किया है. नोट में कहा गया है- वित्त वर्ष 2005-06 में सैलरीड टैक्सपेयर्स (Taxpayers) के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) को खत्म कर दिया गया था. लेकिन, साल 2018-19 में इसे 40,000 रुपए की छूट के साथ फिर से शुरू किया गया. इसकी जगह 19,200 रुपए के ट्रांसपोर्ट अलाउंस और 15,000 रुपए का मेडिकल रिम्बर्समेंट खत्म किया गया. डिडक्शन की सीमा को वित्त वर्ष 2019-20 में बढ़ाकर 50,000 रुपए किया गया. लेकिन, अब इसकी रकम में इजाफा होना चाहिए. इसके पीछे तर्क भी है.

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टैक्सपेयर्स पर कम हो महंगाई का बोझ

महंगाई की तुलना में टैक्सपेयर्स के लिए यह छूट काफी नहीं है. नोट में लिखा गया है कि पिछले कुछ समय में महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन डिडक्शन की रकम उसकी तुलना में काफी कम है. खासकर महामारी के कारण लोगों पर मेडिकल खर्च और वर्क फ्रॉम होम में दूसरे खर्च भी बढ़े हैं. इसलिए सरकार को इस बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन की लिमिट को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. इसे 50,000 रुपए से बढ़ाकर कम से कम 75,000 रुपए किया जाना चाहिए. अगर ऐसा किया गया तो यह टैक्सपेयर्स के लिए मुश्किल वक्त में काफी राहत भरा होगा.

क्यों जरूरी है स्टैंडर्ड डिडक्शन?

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि देश में इनकम टैक्‍स के नियम सैलरीड क्लास के पक्ष में नहीं दिखते. कारोबारी और कंसल्‍टेंट्स को हर महीने खर्च पर एक्जंप्शन क्‍लेम करना का मौका मिलता है. लेकिन, सैलरीड क्लास के पास बहुत सीमित ऑप्शन मौजूद हैं. नौकरीपेशा पर संस्‍थान की तरफ से मिलने वाली सैलरी के स्रोत पर टैक्‍स कटौती (TDS) की जाती है. इससे हाथ में सैलरी काफी कम आती है. ऐसे स्टैंडर्ड डिडक्शन एक अच्छा ऑप्शन तो है, लेकिन इस लिमिट काफी कम है.

क्यों है स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट बढ़ने की उम्मीद?

वर्क फ्रॉम होम (Work from Home) से जुड़े खर्चे और महंगाई के कारण उद्योग संघ फिक्की (FICCI) भी उम्मीद जता चुका है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाया जा सकता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने साल 2020 में इनकम टैक्स के नए रिजीम का ऐलान किया था, लेकिन उसमें NPS के अलावा और किसी छूट का प्रावधान नहीं था. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार बजट में कुछ बड़ा ऐलान हो सकता है.