महंगे सामान को सुरक्षित रखने के लिए बैंक लॉकर से ज्यादा सुरक्षित जगह क्या हो सकती है? लेकिन अगर बैंक में ही चोरी या डकैती हो जाए तो ऐसे में कस्टमर्स क्या करें ? कई मामले ऐसे भी देखे जाते हैं जहां बैंक इस तरह के केस में पल्ला झाड़ लेते हैं. जब बैंक पूरी तरह से हाथ खड़े कर दें तो फिर कस्टमर के पास सिर्फ कोर्ट और लीगल रास्ता ही बचता है. जो एक लंबी लड़ाई है. इसी तरह के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट     के आदेश के बाद रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया ने साल 2022 की शुरुआत में इससे जुड़े कुछ नियम साझा किए थे.

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बैंकों में नुकसान कई वजहों से हो सकता है, हो सकता है किसी प्राकृतिक वजह से ऐसा हुआ हो यानी कि बाढ़, भूकंप आदि. या फिर हो सकता है किसी बाहरी वजहों जैसे कि चोरी डकैती कारण हो. अब दोनों मामलों में बैंक कब आपके लॉकर की जिम्मेदारी लेगा कब नहीं ये सवाल कस्टमर्स के मन में रहता है.

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अगर भूकंप, बाढ़ जैसी आपदा पहुंचाए नुकसान 

रिजर्व बैंक कहता है कि किसी भी प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, भूकंप, बिजली गिरने जैसे हादसों में बैंक की लॉकर में हुए नुकसान को लेकर जिम्मेदारी नहीं होगी. हालांकि बैंक की जिम्मेदारी है कि वे इस तरह के हादसे पेश न आएं इस बात का ख्याल रखें, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं या फिर कस्टमर्स द्वारा हुई किसी गलती के चलते होने वाले नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार नहीं है.

आग, चोरी, डकैती या बिल्डिंग गिर जाने जैसे मामले

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अपनी स्क्रिप्ट में साफ करता है कि बैंक की जिम्मेदारी है सेफ्टी और सिक्योरिटी से जुड़े सभी जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए. ऐसे में आग बैंक में चोरी डकैती जैसे मामले सामने आते हैं तो बैंक इससे पल्ला नहीं झाड़ सकता. इस तरह की अनहोनी में बैंक पूरी तरह से जिम्मेदार माना जाएगा. अगर बैंक में चोरी, डकैती या कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा किसी तरह का कोई फ्रॉड होता है तो बैंकों की देनदारी, लॉकर के मौजूदा सालाना किराए के 100 गुना के बराबर होगी.  आग लगना, चोरी होना, डकैती, रॉबरी, बिल्डिंग गिरना या फिर बैंक के किसी कर्मचारी द्वारा फ्रॉड होना ऐसे केस हैं जिनके लिए बैंक लाइबल है.