GST: भारत में वस्तुओं और सेवाओं पर लगाया गया जीएसटी (GST) ने वैट, एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स जैसे कई लेवी को रिप्लेस कर दिया है. GST के लागू होने से भारत के टैक्सेशन में बहुत सारे बदलाव आये हैं. ऐसे में बिजनेसमैन और इंडिविजुअल अक्सर जीएसटी फाइल करते समय कुछ गलतियां करते हैं, जिसकी वजह से भारी पेनल्टी, लेट फीस और यहां तक ​​कि लीगल इश्यू भी हो सकते हैं. 

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जुर्माने से बचने और टैक्स ऑफिसर के साथ भरोसा बनाए रखने के लिए सही GST रिटर्न फाइल करना जरूरी है. आइए कुछ कॉमन गलतियों पर चर्चा करें जो जीएसटी रिटर्न फाइल के समय करते हैं. 

1. गलत ITC क्लेम और रिवर्सल:

इनपुट टैक्स क्रेडिट ( ITC) की मदद से किसी बिजनेस की टैक्स देनदारी को कम किया जा सकता है. GST नियमों के हिसाब से, ITC का फायदा उठाना कुछ नियमों और शर्तों के अधीन है. GST रिटर्न फाइल करते समय ITC के सही वेल्यू की रिपोर्ट करने की जरूरत होती है.

2. RCM में GST की पेमेंट न करना:

रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत, टैक्स चार्ज सेलर से खरीदार के पास वापस आ जाता है, जिससे गुड्स एंड सर्विस के खरीदार टैक्स पेमेंट के लिए जिम्मेदार हो जाते हैं. अगर कोई रिवर्स-चार्ज टैक्स को जिम्मेदारी से पूरा नहीं करता है, तो इससे इंटरेस्ट पेमेंट और ITC का नुकसान हो सकता है.

3. GST रिटर्न में छूट वाले टर्नओवर को मेंशन करना भूल जाना:

निल-रेट का GST देनदारी पर कोई असर नहीं पड़ता है, लेकिन रिटर्न फाइल करते समय इसकी रिपॉर्ट दी जानी चाहिए. GST के तहत हर रजिस्टर बिजनेस को GSTR 3B और GSTR 1 में छूट या निल-रेटेड बिक्री की रिपोर्ट करनी होगी.

4. गलत GST कैटेगरी के अंदर फाइल करना:

GST रिटर्न फाइल करते समय यह ध्यान रखना होगा कि GST देनदारियों या ITC को सही कैटेगरी के अंदर डालें. ऐसी गलती करने से अनचाह कैश फ्लो और बाकी कैलकुलेशन में गड़बड़ हो सकती है. 

5. GSTR 3B और GSTR 1 फाइल करते समय डेटा का बेमेल होना: 

GST रिटर्न फाइल करते समय ध्यान रखने की जरूरत है कि हर महीने के बेसिस पर GSTR-3B (summary return) को GSTR-1 (sales return) के साथ अच्छी तरह से मिलान करें.  इसे इग्नोर करने से अक्सर रिवेन्यू लॉस हो सकता है. 

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