Asset allocation से रिटर्न करें बैलेंस, रिस्क कम करने का है अच्छा सोल्युशन
पैसों को अलग-अलग असेट क्लास में बांटने से नुकसान कम होता है. एक असेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो दूसरा उसे संभालता है.
कोरोना वायरस महामारी (Covid-19 Pandemic) से भारत समेत दुनियाभर के बाजार में स्थिति डांवाडोल है. लॉकडाउन (Lockdown) से देश के काम-धंधे बिल्कुल चौपट पड़े हैं. ऐसे में निवेशकों के सामने सवाल उठ रहा है कि क्या किया जाए. निवेश नीति बदलें या फिर पोर्टफोलियो में कुछ बदलाव किया जाए?
मार्केट एक्सपर्ट इन हालात में निवेशकों को परेशान न होने की सलाह दे रहे हैं. उनका कहना है कि बाजार का संकट निवेश पर हावी न होने दें. और इस समस्या के समाधान के लिए सही एसेट एलोकेशन करें.
असेट एलोकेशन (Asset allocation) और रिस्क मैनेजमेंट (Risk management) के बारे में बता रहे हैं ऑपटिमा मनी के एमडी पंकड मठपाल.
असेट एलोकेशन निवेश की रणनीति बनाने में मदद करता है. किस निवेश माध्यम से कितना निवेश करना चाहिए और कितना निवेश सही रहता है, यह हमें असेट एलोकेशन से पता चलता है. असेट एलोकेशन से नुकसान की आशंका कम रहती है.
निवेश अवधि
निवेश का सही मंत्र है कि सारा निवेश एक जगह न करें. एक असेट क्लास में ज्यादा निवेश जोखिम भरा होता है. लंबी अवधि में इक्विटी में निवेश बेहतर होता है. 10 साल के इक्विटी निवेश में 10-15 फीसदी अनुमानित रिटर्न मिलता है. ध्यान रखें कि छोटी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश जोखिम भरा होता है.
निवेश का लक्ष्य
निवेश करने से पहले अपना टारगेट तय करें. यह तय करें कि आपको निवेश किस काम के लिए करना है. टारगेट के हिसाब से निवेश को 3 भाग में बांट लें. निवेश को छोटी, मध्यम और लंबी अवधि में बांट लें. लक्ष्यों के हिसाब से असेट एलोकेशन करें. घर, गाड़ी खरीदने या फिर विदेश यात्रा के लिए छोटी अवधि में निवेश करें.
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जोखिम क्षमता
निवेश करने से पहले रिस्क लेने की क्षमता का आकलन जरूर कर लें. कम, मध्मय, ज्यादा रिस्क कैटेगरी के हिसाब से एलोकेशन करें. कम उम्र में निवेश कर रहे हैं तो ज्यादा अवधि तो इक्विटी एलोकेशन ज्यादा करें.
निवेशक की उम्र
उम्र के हिसाब से असेट एलोकेशन रणनीति बनाएं. सीनियर सिटीजन, रिटायरमेंट के करीब हैं तो डेट एलोकेशन ज्यादा करें. रिटायरमेंट का लक्ष्य दूर है तो इक्विटी एलोकेशन ज्यादा करें. लक्ष्य के करीब पहुंचने पर एलोकेशन इक्विटी से डेट में करें.
सेट एलोकेशन का फायदा
पैसों को अलग-अलग असेट क्लास में बांटने से नुकसान कम होता है. एक असेट क्लास में उतार-चढ़ाव होता है तो दूसरा उसे संभालता है. अलग-अलग असेट क्लास में रिस्क के हिसाब से रिटर्न मिलता है. बाजार की उथल-पुथल में असेट एलोकेशन काम आता है.
अनिश्चित बाजार और असेट एलोकेशन
कम से कम एक तिमाही में असेट एलोकेशन चेक करें. किसी असेट क्लास में 10 फीसदी से ज्यादा तेजी/मंदी तो रीबैलेंस करें. बाजार की अनिश्चतता में लंबी अवधि का निवेश करें.