कोरोना का दौर भारत समेत पूरी दुनिया ने देखा. इस दौर में तमाम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. कई परिवार बर्बाद हो गए. लेकिन इसके बाद भी भारत में लोग जीवन बीमा को महत्‍व देना नहीं सीखे. ये बात हम आपसे नहीं कह रहे हैं, बल्कि ये खुलासा नेशनल इंश्योरेंस एकेडमी (National Insurance Academy) की रिपोर्ट में हुआ है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश की 144 करोड़ की आबादी 95% आबादी के पास अभी भी जीवन बीमा (Life Insurance) नहीं है. सिर्फ 5% आबादी के पास ही Life Insurance है.

इंश्‍योरेंस न लेने वाले 84% निम्‍न और मध्‍यम आय वाले

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नेशनल इंश्योरेंस एकेडमी की इस रिपोर्ट को भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के चेयरमैन देवाशीष पांडा ने जारी किया और बीमा कंपनियों से और बेहतर कोशिश करने की अपील की. इस रिपोर्ट में बताया गया है इन 95 फीसदी आबादी में 84 फीसदी आबादी निम्‍न और मध्‍यम आय वर्ग के हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि कोरोना महामारी का दौर देखने के बाद भी लोग जीवन बीमा को आज भी जरूरी नहीं समझ रहे हैं.

73 फीसदी आबादी के पास नहीं है हेल्‍थ इंश्‍योरेंस

सामान्‍य शब्‍दों में समझें तो जीवन बीमा न होने के कारण 100 में से 95 लोगों की जान और संपत्ति को लगातार खतरा बना हुआ है. इतना ही नहीं, इस रिपोर्ट में एक और बड़ा खुलासा ये हुआ है कि देश की 73 फीसदी आबादी ऐसी है जिसके बाद हेल्‍थ इंश्‍योरेंस नहीं है. रिपोर्ट के सामने आने के बाद IRDAI ने इंडस्ट्री से कहा कि वह उन कदमों पर ध्यान दे, जिनकी मदद से यूपीआई, बैंक अकाउंट और मोबाइल को पूरे देश में फैलाया जा सका. IRDAI के चेयरमैन देवाशीष पांडा ने कहा कि हाई रिस्क वाले क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदा बीमा को जरूरी करने की आवश्यकता है. 

क्‍यों जरूरी है लाइफ इंश्‍योरेंस

जीवन बीमा पॉलिसी परिवार के लिए सुरक्षा कवच की तरह है. ये पॉलिसी होल्‍डर के नहीं रहने की स्थिति में उसके परिवार को वित्तीय जोखिम से सुरक्षा देता है. मान लीजिए कि आप परिवार के मुखिया हैं और आप की इनकम पर ही घर की सारी व्‍यवस्‍थाएं निर्भर हैं. ऐसे में अगर आपको अचानक कुछ हो जाता है तो आपके जाने के बाद परिवार के सदस्यों के पास फाइनेंशियल सिक्योरिटी रहेगी. बीमा कवरेज लेने से पॉलिसी होल्‍डर के आश्रित को बीमा कंपनी से मुआवजा मिलेगा, जिसके जरिए वो आगे का समय आसानी से काट सकता है.