9 Years of Modi: मोदी सरकार ने नौ सालों में इनकम टैक्स पर आपको क्या दिया? 2014 से क्या-कुछ बदला, पढ़ें पूरी हिस्ट्री
9 Years of Modi Government: 2014 में हमारा जो टैक्स सिस्टम हुआ करता था, उससे बहुत ज्यादा अलग हो चुका है मौजूदा सिस्टम. ऐसे में हम एक बार इसपर नजर डाल रहे हैं कि मोदी सरकार ने कैसे इन नौ सालों में इनकम टैक्स नियमों में ढेरों बदलाव किए हैं.
9 Years of Modi Government: मोदी सरकार सत्ता में अपने नौ साल पूरे कर रही है. इन नौ सालों में हमने ढेरों बदलाव देखे हैं. इनकम टैक्स के नियमों ने भी इस दौरान खूब ओवरहॉल देखा है. हमारे पास अब दो टैक्स रिजीम है. ढेर सारे इनडायरेक्ट टैक्स की जगह अब अकेले GST (Goods & Services Tax) ने ले ली है. साल 2014 में हमारा जो टैक्स सिस्टम हुआ करता था, उससे बहुत ज्यादा अलग हो चुका है मौजूदा सिस्टम. ऐसे में हम एक बार इसपर नजर डाल रहे हैं कि मोदी सरकार ने कैसे इन नौ सालों में इनकम टैक्स नियमों में ढेरों बदलाव किए हैं.
1. इनडायरेक्ट टैक्स खत्म, GST हुआ लागू
जीएसटी की तैयारी डेढ़ दशक से हो रही थी, लेकिन 2017 में आखिरकार एक यूनिफॉर्म टैक्स सिस्टम पूरे देश में लागू हुआ था. इसके पहले सेल्स टैक्स, वैट, परेचज टैक्स जैसे ढेरों टैक्स हुआ करते थे, इससे बाजार और व्यापार में कुशलता नहीं थी और टैक्स के नियमों का पालन करना बहुत जटिल था. लेकिन जीएसटी के आ जाने से ढेरों टैक्स खत्म हो गए और देश में एक ही टैक्स सिस्टम लागू हो गया.
2. दो टैक्स रिजीम आए
- साल 2020 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक नए टैक्स रिजीम की घोषणा की, जो 1 अप्रैल, 2020 से लागू हुए. ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम के बीच टैक्स स्लैब और टैक्स छूट का फर्क है. नई टैक्स रिजीम में ज्यादा टैक्स स्लैब थे, लेकिन टैक्स रेट कम रखा गया था. हालांकि, इसमें किसी तरह की टैक्स छूट नहीं दी गई थी.
- Budget- 2023 में नई टैक्स रिजीम को और आकर्षक बनाया गया है. इसमें आपको अब 3 लाख तक की रकम पर छूट मिलती है. वहीं, रिबेट के साथ 7 लाख तक की रकम पर भी टैक्स लायबिलिटी हट जाती है. साथ ही अब इसमें कुछ और टैक्स छूट भी मिलने लगे हैं.
3. सीधे आपके इनकम टैक्स देनदारी पर कितना पड़ा असर?
साल 2014 के बाद से ही डायरेक्ट इनकम टैक्स पर सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं. कई फैसलों से टैक्सपेयर्स को बड़ी सुविधा मिली है.
- सत्ता में आने के बाद अपने पहले बजट में मोदी सरकार ने टैक्स छूट की लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर ढाई लाख कर दी. सीनियर सिटीजंस को ढाई लाख से बढ़ाकर 3 लाख तक की छूट मिल गई. 80C के तहत छूट 1 लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख कर दी गई. वहीं होम लोन के ब्याज पर छूट डेढ़ लाख से बढ़ाकर 2 लाख कर दी गई.
- 2015 में वेल्थ टैक्स हटा दिया गया. हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर डिडक्शन 15,000 की बजाय 25,000 तक दिया जाने लगा. सीनियर सिटीजंस को 30,000 तक छूट मिली. 80CCD सेक्शन के तहत NPS (नेशनल पेंशन सिस्टम) में अतिरिक्त 50,000 की छूट लेने का विकल्प दिया गया.
- 2016 में सेक्शन 87A के तहत 5 लाख सालाना से कम आय वालों के लिए टैक्स रिबेट 2,000 से बढ़ाकर 5,000 कर दी गई. 80GG के तहत किराए पर 24,000 की बजाय सीधे 60,000 तक पर डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा दी गई.
- 2017 में 2.5 लाख से 5 लाख के स्लैब के लिए टैक्स रेट 10 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत किया गया. 3.5 लाख रुपये सालाना तक की आय वालों के लिए 87A के तहत टैक्स रिबेट 5,000 से घटाकर 2,500 कर दी गई.
- 2018 में सरकार ने कई घोषणाएं कीं. सीनियर सिटीजंस को मेडिकल खर्चों पर 50,000 तक का डिडक्शन मिला. बैंक और पोस्ट ऑफिस ब्याज पर डिडक्शन 50,000 तक कर दिया गया. LTCG पर बिना इंडेक्सेशन लाभ के 1 लाख रुपये से ऊपर की कमाई पर 10% की दर से टैक्स लगाया गया.
- 2019 में सैलरीड क्लास को 50,000 तक स्टैंडर्ड डिडक्शन दिया गया.
- 2020 में नया टैक्स रिजीम आया. 2021 में सरकार ने टैक्स फाइलिंग से जुड़ा डॉक्यूमेंटेशन प्रोसेस आसान किया. 2022 में पर्सनल इनकम टैक्स में कुछ खास बदलाव नहीं हुए थे. बस आईटीआर में सुधार का विंडो दिया गया और फिर दो सालों के भीतर अपडेटेड रिटर्न भरने का ऑप्शन दिया गया. इस साल वर्चुअल असेट पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया. सरकारी अधिकारियों के लिए NPS कॉन्ट्रिब्यूशन पर टैक्स डिडक्शन लिमिट को बढ़ाकर 14% कर दिया गया.
- 2023 में यानी इस साल इनकम टैक्स से जुड़े कई बदलाव लागू हुए हैं. इनकम टैक्स स्लैब बदले गए हैं. नई टैक्स रिजीम में कई छूट मिलने लगे हैं. 7 लाख तक की इनकम पर रिबेट है. नई टैक्स रिजीम में 50,000 तक का स्टैंडर्ड डिडक्शन है. हालांकि, डेट म्यूचुअल फंड पर LTCG बेनेफिट नहीं मिल रही है.
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