भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने नॉन रनिंग कैटेगरी से रनिंग कैटेगरी में प्रमोट हुए कर्मचारियों को 7वां वेतनमान के तहत पे फिक्‍सेशन (Pay Fixation) देने का फैसला किया है. ये वे कर्मचारी हैं जो 1 जनवरी 2016 से 28 जुलाई 2016 के बीच प्रमोट हुए थे. उन्‍हें पे फिक्‍सेशन का विकल्‍प भी मिला है. इससे उनकी सैलरी में हजारों रुपए की बढ़ोतरी तय है.
 
जारी किए गए ये आदेश
रेलवे बोर्ड की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि छठे वेतन आयोग ने अपने सैलरी स्‍ट्रक्‍चर में नए प्रावधान का ऑप्‍शन दिया था. इस ऑप्‍शन में अगर कोई कर्मचारी रिवाइज पे स्‍केल के लागू होने की तारीख से नोटिफिकेशन की तारीख के दौरान प्रमोट होता है तो उसे प्रमोशन के बाद 7वां वेतन आयोग मिलने लगेगा. यह प्रावधान 7वें वेतन आयोग में भी है.
 
क्‍या होता है पे फिक्‍सेशन
एचएस तिवारी ने बताया कि सरकार हर कर्मचारी को प्रमोशन की तारीख (Date of Promotion, DoP) या इंक्रीमेंट की अगली तारीख (Date of Next Increment, DNI) का विकल्‍प देती है. कर्मचारी जो विकल्‍प चुनता है उसे उस आधार पर फायदा होता है. यानि अगर कोई कर्मचारी फरवरी 2016 में प्रमोट हुआ, तो उसके पास ऑप्‍शन है कि वह इंक्रीमेंट 1 जुलाई 2016 से चाहता है या फिर जिस दिन वह प्रमोट हुआ उस तारीख से.
 
पहले की व्‍यवस्‍था
ऑल इंडिया ऑडिट एंड अकाउंट्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एचएस तिवारी ने बताया कि पहले 10, 20 और 30 साल पर कर्मचारियों को प्रमोशन अपने आप मिलता था. उस समय एश्‍योर्ड कॅरियर प्रोग्रेशन (ACP) योजना थी. 7वें वेतन आयोग में इसे बदलकर मॉडीफाइड एर्श्‍योड कॅरियर प्रोग्रेशन स्‍कीम यानि MACPS कर दिया गया.
 
क्‍या है MACPS
यह योजना 7वें वेतन आयोग के तहत लाई गई थी. इसके तहत ऐसे केंद्रीय कर्मचारियों का एनुअल अप्रेजल या इंक्रीमेंट नहीं होगा, जिनका प्रदर्शन अच्‍छा नहीं है. उन्‍हीं को प्रमोशन मिलेगा, जिनका प्रदर्शन अच्‍छा है.
 
क्‍या थी डिमांड

7वें वेतन आयोग के तहत MACPS के आने से क्‍लास थ्री और फोर्थ के कर्मचारियों को काफी नाराजगी थी. क्‍योंकि यह प्रमोशन व्‍यवस्‍था लागू होने से उन कर्मचारियों का प्रमोशन रुक गया था, जो अप टू द मार्क नहीं थे.