7th Pay Commission: 28 मार्च की शाम केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगी बड़ी खुशखबरी, DA Hike को लेकर आएगा नया अपडेट
7th Pay Commission Central government employees news: 28 मार्च की शाम AICPI इंडेक्स के नए नंबर्स आएंगे. क्योंकि, 29 मार्च को गुड फ्राइडे (Good Friday) है और फिर शनिवार-रविवार, इसलिए लेबर ब्यूरो 28 मार्च को ही इसे जारी कर देगा.
7th Pay Commission latest news today: केंद्रीय कर्मचारियों को होली (Holi 2024) गिफ्ट तो पहले ही मिल चुका है. केंद्र सरकार ने उनका महंगाई भत्ता (DA Hike) बढ़ाकर 50 फीसदी कर दिया था. 1 जनवरी 2024 से इसे लागू किया गया. अब मार्च खत्म होने पर एरियर के साथ इसका भुगतान भी हो जाएगा. लेकिन, आगे क्या? आगे की कैलकुलेशन अब शुरू हो चुकी है. एक नंबर आ चुका है, एक और आने वाला है. 28 मार्च की शाम AICPI इंडेक्स के नए नंबर्स आएंगे. क्योंकि, 29 मार्च को गुड फ्राइडे (Good Friday) है और फिर शनिवार-रविवार, इसलिए लेबर ब्यूरो 28 मार्च को ही इसे जारी कर देगा. इसमें कर्मचारियों को एक और नई खुशखबरी मिलेगी. महंगाई भत्ते (Dearness allowance) का स्कोर 50 फीसदी से आगे बढ़ेगा. लेकिन, कितना? क्योंकि, 50 फीसदी महंगाई भत्ता (DA) होने पर तो इसे शून्य करने का नियम बनाया गया था. तो कब होगा?
शून्य से शुरू होगी कैलकुलेशन
साल 2024 में केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) का गणित बदलने जा रहा है. दरअसल, 1 जनवरी से लागू होने वाले महंगाई भत्ते की तस्वीर साफ हो गई है. कर्मचारियों को 50 फीसदी DA मिलना है. जनवरी 2024 से केंद्रीय कर्मचारियों को महंगाई भत्ता 50 फीसदी मिलेगा. नियम ये कहता है कि 50 फीसदी महंगाई भत्ता होने के बाद इसे बेसिक सैलरी में मर्ज करके शून्य से इसकी गणना शुरू होगी. लेकिन, सरकार अभी तक इस पर कोई सफाई नहीं दी. मतलब अभी महंगाई भत्ते की कैलकुलेशन 50 फीसदी से आगे ही चलेगी. लेकिन, शून्य कब किया जाएगा?
1 जुलाई 2024 से लागू होगा नया महंगाई भत्ता
सरकार ने साल 2016 में 7वां वेतन आयोग लागू करते वक्त महंगाई भत्ते को शून्य कर दिया था. नियमों के मुताबिक, महंगाई भत्ता जैसे ही 50 फीसदी तक पहुंचेगा, इसे शून्य कर दिया जाएगा और 50 फीसदी के अनुसार जो पैसा भत्ते के रूप में कर्मचारियों को मिल रहा होगा, उसे बेसिक सैलरी यानि न्यूनतम सैलरी में जोड़ (da merger basic salary) दिया जाएगा. मान लीजिए किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 18000 रुपए है तो उसे 50 फीसदी DA का 9000 रुपए मिलेगा. लेकिन, 50 फीसदी DA होने पर इसे बेसिक सैलरी में जोड़कर फिर से महंगाई भत्ता शून्य कर दिया जाएगा. मतलब बेसिक सैलरी का रिविजन होकर 27,000 रुपए हो जाएगी. हालांकि, इसके लिए सरकार को फिटमेंट में भी बदलाव करना पड़ सकता है.
आखिर शून्य क्यों हो रहा है महंगाई भत्ता?
जब भी नया वेतनमान लागू किया जाता है कर्मचारियों को मिलने वाले DA को मूल वेतन में जोड़ दिया जाता है. जानकारों का कहना है कि यूं तो नियम कर्मचारियों को मिलने वाले शत-प्रतिशत डीए को मूल वेतन में जोड़ना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो पाता. वित्तीय स्थिति आड़े आती है. हालांकि, साल 2016 में ऐसा किया गया. उससे पहले साल 2006 में जब छठा वेतनमान आया तो उस समय पांचवें वेतनमान में दिसंबर तक 187 प्रतिशत DA मिल रहा था. पूरा डीए मूल वेतन में मर्ज दिया गया था. इसलिए छठे वेतनमान का गुणांक 1.87 था. तब नया वेतन बैंड और नया ग्रेड वेतन भी बनाया गया था. लेकिन, इसे देने में तीन साल लग थे.
अगला रिविजन 4 फीसदी होगा?
एक्सपर्ट्स की मानें तो जुलाई में नया महंगाई भत्ता कैलकुलेट होगा. क्योंकि, सरकार साल में दो बार ही महंगाई भत्ता बढ़ाती है. जनवरी के लिए मार्च में मंजूरी दे दी गई है. अब अगला रिविजन जुलाई 2024 से लागू होना है. ऐसे में महंगाई भत्ते को तभी मर्ज किया जाएगा और शून्य से इसकी कैलकुलेशन होगी. मतलब जनवरी से जून 2024 के AICPI इंडेक्स से तय होगा कि महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ने का अनुमान हैं. ये स्थिति साफ होते ही कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 50 फीसदी महंगाई भत्ते को जोड़ दिया जाएगा.
कब शुरू हुआ था ये नियम?
साल 2006 में छठे वेतन आयोग के समय नए वेतनमान को 1 जनवरी 2006 से लागू किया गया था, लेकिन इसकी अधिसूचना 24 मार्च 2009 को जारी की गई थी. इस देरी की वजह से सरकार को 39 से 42 महीने का डीए एरियर (DA Arrear) 3 किस्तों में 3 वित्तीय वर्षों 2008-09, 2009-10 एवं 2010-11 में भुगतान किया गया था. नया पे स्केल भी बनाया गया था. पांचवें वेतनमान में 8000-13500 वाले वेतनमान में 8000 पर 186 प्रतिशत DA 14500 रुपए होता था. इस लिए दोनों को जोड़ने पर कुल वेतन 22 हजार 880 हुआ. छठे वेतनमान में इसका समकक्ष वेतनमान 15600 -39100 प्लस 5400 ग्रेड पे निर्धारित किया गया. छठे वेतनमान में यह वेतन 15600-5400 प्लस 21000 और उस पर एक जनवरी 2009 को 16 प्रतिशत डीए 2226 जोड़ने पर कुल वेतन 23 हजार 226 रुपए तय किया गया. चौथे वेतन आयोग की सिफारिशें 1986, पांचवें की 1996, छठे की 2006 में लागू हुईं. सातवें कमीशन की सिफारिशें जनवरी 2016 में लागू हुई.