कुछ लोग सैलरी न बढ़ने से परेशान है, और कुछ की सैलरी बढ़ती ही जा रही है. सैलरी बढ़ने के मामले में सबसे भाग्यशाली हैं हमारे नेता, जिनका वेतन साल साल में करीब दोगुना हो गया. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की इंडिया वेज रिपोर्ट के मुताबिक ये किसी भी अन्य पेशे के मुकाबले वेतन में हुई सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है.

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नेशनल सैंपल सर्वे संगठन के आंकड़ों का विश्लेषण करके रिपोर्ट ने बताया कि नेता, सीनियर ऑफिसर और मैनेजर्स का वास्तविक वेतन 98 प्रतिशत बढ़ा, जबकि प्रोफेशनल्स के वेतन में औसतन 90 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली. गौरतलब है कि इनमें से ज्यादातर अपना वेतन बढ़ाने का फैसला खुद ही करते हैं.

मशीन ऑपरेटर्स का वेतन 44% बढ़ा  

इस तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है. दो दशक के दौरान प्लांट और मशीन ऑपरेटर्स के वास्तविक वेतन में सिर्फ 44 प्रतिशत का इजाफा हुआ. मतलब साफ है कि निर्णायक भूमिका वाले लोगों ने अपना वेतन बढ़ाने को प्राथमिकता दी, और ऐसा किया मध्यम तथा निचले दर्जे की कीमत पर. इस डेटा से पता चलता है कि ऑक्यूपेशनल कैटेगरी में आने वाले व्यवसायों में शुरुआत में अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी हुई, लेकिन 2004-05 के बाद उनकी बढ़ोतरी रुक गई. उसके बाद उन व्यवसायों की सैलरी बढ़ी, जहां अभी तक कोई वृद्धि नहीं हुई थी.

रिपोर्ट में बताया गया कि वेतन आयोग की सिफारिशों के कारण सरकारी कर्मचारियों के वेतन में तेजी से बढ़ोतरी हुई और इसका असर प्राइवेट सेक्टर में भी वरिष्ठ कर्मचारियों के वेतन में इजाफे के रूप में दिखा. इसके विपरीत लो-स्किल जॉब में 2004-05 से 2011-12 के बीच वेतन सिर्फ 3.7 प्रतिशत बढ़ा. इस कारण इनके कुल वेतन में कमी आई.

महिलाओं को मिलता है कम वेतन 

रिपोर्ट में कहा गया कि महिलाओं और पुरुषों के वेतन में अंतर की समस्या अभी भी बनी हुई है. सीनियर लेबल पर ये अंतर कम है, लेकिन जैसे जैसे निचले स्तर पर जाते हैं, ये अंतर बढ़ता जाता है. सीनियर लेबर पर महिलाओं का औसत वेतन पुरुषों के मुकाबले 92 प्रतिशत था, जबकि प्रोफेशनल्स के मामले में ये आंकड़ा 75 प्रतिशत रहा. लो-स्किल जॉब में महिलाओं और पुरुषों के वेतन में सबसे अधिक अंतर था. इस श्रेणी में महिलाओं का वेतन पुरुषों के वेतन का केवल 69 प्रतिशत है.