PM Internship Scheme का 80 प्रतिशत से अधिक भारतीय कंपनियों ने समर्थन किया है. अपनी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR) पहलों को इस स्कीम के साथ जोड़ा है. यह जानकारी गुरुवार को एक रिपोर्ट में दी गई. टीमलीज एडटेक की रिपोर्ट में कहा गया कि 932 कंपनियों से प्राप्त जानकारियों से पता चलता है कि भारत में युवाओं के लिए कौशल अंतराल को पाटने और रोजगार क्षमता को बढ़ाने में इंटर्नशिप की बड़ी भूमिका है.

किन सेक्टर्स में है सबसे ज्यादा मांग

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रिपोर्ट में बताया गया कि 76 प्रतिशत से ज्यादा कंपनियां अपने इंटर्नशिप कार्यक्रमों में टेक्नोलॉजी से जुड़े रोल को प्राथमिकता दे रही हैं, जो उभरती हुई मांगों को पूरा करने के लिए डिजिटल रूप से कुशल प्रतिभाओं पर उद्योग के फोकस को दर्शाता है. इसके अलावा 73 प्रतिशत कंपनियां अपने इंटर्न में से कम से कम 10 प्रतिशत को कर्मचारियों के रूप में नियुक्त करने का इरादा रखती हैं.

CSR का 20 फीसदी बजट इंटर्नशिप प्रोग्राम

रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना को काफी समर्थन मिल रहा है और 81 प्रतिशत कंपनियां इसे सभी कॉरपोरेट्स तक बढ़ाने की वकालत कर रही हैं. वहीं, 73 प्रतिशत कंपनियों ने माना है कि छोटी से मध्यम अवधि यानी एक से छह महीने की इंटर्नशिप कौशल विकास के लिए सबसे उचित है. 34.43 प्रतिशत कंपनियां अपने CSR बजट का करीब 20 प्रतिशत तक इंटर्नशिप प्रोग्राम के लिए आवंटित किया है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 32.43 प्रतिशत कंपनियों ने कॉरपोरेट्स और यूनिवर्सिटीज के साथ साझेदारी करने की भी प्राथमिकता व्यक्त की है. 

क्या है पीएम इंटर्नशिप योजना?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट में पीएम इंटर्नशिप स्कीम का ऐलान किया था, जिसमें अगले 5 साल में करीब 1 करोड़ युवाओं को इसका फायदा मिलेगा. इस प्रोग्राम में प्रत्येक इंटर्न को 5000 रुपये का मासिक भत्ता दिया जाएगा. इसके अलावा सरकार की तरफ से 1 साल बाद एकमुश्त 6000 रुपये अलग से दिए जाएंगे. इस 5000 रुपये के मासिक भत्ते में 10 फीसदी यानि की 500 रुपये कंपनियां अपने CSR फंड से देंगी और 4500 रुपये सरकार की तरफ से दिया जाएगा.

फिलहाल इस स्कीम में बड़ी कंपनियों को टारगेट किया गया है. हालांकि, अब इस स्कीम का विस्तार छोटी कंपनियों तक करने को लेकर भी चर्चा चल रही है.