अगर आप अपने वेतन में होने वाली सालाना बढ़ोतरी से संतुष्ट नहीं हैं, तो आपको ये जानकर कुछ संतोष जरूर होगा कि कंपनियों की आय में कमी का असर उनके सीईओ के वेतन पर भी दिखाई देने लगा है. भारत की प्रमुख कंपनियों के प्रबंधन निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी के वेतन में होने वाली औसत वृद्धि वित्त वर्ष 2018 में 10 प्रतिशत से घटकर 8 प्रतिशत रह गई है. यानी पिछले साल के मुकाबले इस साल उन्हें दो प्रतिशत कम इंक्रीमेंट मिला है. अगर इस आंकड़े की तुलना वित्त वर्ष 2016 से करें तो इस साल इंक्रीमेंट में 8 प्रतिशत की भारी कम हुई है.

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इससे जाहिर होता है कि कुछ क्षेत्रों में दबाव जारी है और वो लागत में कमी तथा मार्जिन के दबाव का सामना कर रहे हैं. प्राइम डाटाबेस के मुताबिक  एनएसई में सूचीबद्ध कंपनियों के एमडी और सीईओ का औसत वेतन पिछले साल के 2.48 करोड़ रुपये के मुकाबले 2018 में बढ़कर 2.69 करोड़ हो गया है. इस तरह उनके वेतन में आठ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि 2017 में बढ़ोतरी 10 प्रतिशत और 2016 में बढ़ोतरी 16 प्रतिशत हुई थी. 

एमडी और सीईओ जैसे बड़े पदों पर वेतन का बड़ा हिस्सा बोनस या वैरियेबल्स के रूप में होता है, जो उनके प्रदर्शन के आधार पर दिया जाता है. कंपनियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहने पर ये वैरियेबल्स तो घटते ही हैं, साथ ही फिक्स्ड इनकम के रूप में मिलने वाली सैलरी में इंक्रीमेंट घटने से उनके वेतन में दोहरा असर पड़ता है.