नौकरीपेशा के लिए बड़ी खबर, सरकार ने लोकसभा में रखा वर्कर की ताकत बढ़ाने वाला बिल
छोटी पगारवालों के लिए अच्छी खबर है. सरकार ने गुरुवार को इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल 2019 (Industrial relation Code bill 2019) लोकसभा में पेश किया है.
रिपोर्ट : भूपेंद्र सोनी
छोटी पगारवालों के लिए अच्छी खबर है. सरकार ने गुरुवार को इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल 2019 (Industrial relation Code bill 2019) लोकसभा में पेश किया है. इस बिल के प्रावधान लागू होने के बाद ट्रेड यूनियन्स (Trade Unions) की राजनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा. वहीं कंपनियों को भी अपने कर्मचारियों का ध्यान और अच्छे से रखना होगा.
इस कानून के लागू होने के बाद ट्रेड यूनियन एक्ट 1926, इंडस्ट्रियल एंप्लॉयमेंट एक्ट 1946 और इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट 1947-तीनों बिल इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड बिल 2019 में समाहित हो जाएंगे.
लेबर मिनिस्टर ने पेश किया बिल
लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार ने यह बिल लोकसभा में पेश किया. इसके तहत हड़ताल के नियमों में भी बदलाव किया गया है. अगर सभी लोग एक साथ छुट्टी पर चले जाते हैं तो उसे हड़ताल माना जाएगा. वहीं हड़ताल करने के लिए 14 से 60 दिन पहले अनुमति मांगनी होगी और जिस समय समझौते की प्रक्रिया चल रही होगी, उस समय हड़ताल नहीं की जा सकती.
बदल जाएगी वर्कर की परिभाषा
इस बिल के तहत कंपनी और कर्मचारी के रिलेशन नए सिरे से देखे जाएंगे. वर्कर उसे माना जाएगा जिसको ₹15000 सैलरी मिल रही हो इस समय ₹10000 वाले को वर्कर माना जाता है.
सरकार से लेनी होगी इजाजत
माइंस फैक्ट्रीज और प्लांटेशन एरिया में काम करने वाली औद्योगिक इकाइयों में अगर 100 से ज्यादा वर्कर हैं तो उन्हें हटाने के लिए या नौकरी से निकालने या कंपनी बंद करने से पहले संबंधित सरकार से इजाजत लेनी होगी.
6 महीने की जेल
सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट, कोऑपरेटिव सोसाइटीज एक्ट और कंपनीज एक्ट के तहत ट्रेड यूनियन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. अगर कोई वर्कर अवैध हड़ताल करता है तो उस पर 1,000 से ₹10,000 तक जुर्माना लग सकता है और 1 महीने की सजा भी हो सकती है. वहीं एंप्लॉयर अगर श्रम कानून का उल्लंघन करता है तो उस पर ₹10 हज़ार से ₹10 लाख रुपए तक जुर्माना लग सकता है. 6 महीने की जेल भी हो सकती है.
1 महीने का नोटिस
किसी कंपनी को किसी वर्कर को निकालने से पहले 1 महीने पहले नोटिस देना होगा. वहीं अगर कंपनी बंद होती है तो 2 महीने का नोटिस देना होगा साथ ही मुआवज़ा भी देना होगा.
रीस्किल फंड की स्थापना होगी
रीस्किल फंड से कर्मचारियों की ट्रेनिंग होगी और इसका आधा खर्च एंप्लॉयर उठाएगा. ट्रेड यूनियन को किसी भी विवाद के समय में समझौता करने के लिए जिम्मेदार अथॉरिटी माना जाएगा. हालांकि शर्त होगी कि ट्रेड यूनियन के पक्ष में 75% कर्मचारी हो. अगर 75% वर्कर पक्ष में न हों तो एक काउंसिल बनाया जाएगा, जो समझौते की जमीन तैयार करेगा.
बिल की खास बातें
- किसी भी विवाद के समय में इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में बात रखी जाएगी.
- ग्रीवेंस रीड्रेसल कमिटी भी बनाई जाएगी.
- इस कमेटी के मेंबर 6 से बढ़ाकर 10 किए जाएंगे.
- अगर किसी नियम का उल्लंघन होता है तो सजा मिल सकेगी.
- सरकार किसी भी नियमों के उल्लंघन के लिए इंक्वायरी करा सकती है और ₹50000 तक जुर्माना लगा सकती है.
- अगर ट्रेड यूनियन किसी नियम का उल्लघंन करती है तो उसके ऑफिस बीयरर को प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना देना होगा.