वर्किंग वूमेन के लिए अच्‍छी खबर है. मोदी सरकार अब वर्किंग महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश के 7 हफ्ते का वेतन कंपनियों को रिइंबर्स कर सकती है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने प्रस्‍ताव किया है कि 15 हजार रुपये से अधिक मासिक वेतन पाने वाली महिलाओं को मिलने वाले मातृत्व अवकाश के 7 हफ्ते का वेतन सरकार इम्‍प्‍लॉयर को वापस करेगी. सरकार ने यह प्‍लान ऐसे वक्‍त तैयार किया है जब शिकायतें मिल रही थीं कि मातृत्व अवकाश की मियाद 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करने के बाद से तमाम कंपनियां गर्भवती महिलाओं को नौकरी देने में इच्छुक नहीं दिख रहीं. मंत्रालय ने कहा है कि इस प्रस्ताव पर संबंधित विभागों से मंजूरी ली जा रही है.

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निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं भी दायरे में

इसके दायरे में सरकारी और निजी दोनों ही क्षेत्र में काम करने वाली महिलाएं आ सकती हैैं. हमारी सहयोगी वेबसाइट जी न्‍यूज की खबर के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि यह प्रस्‍ताव है कि श्रम कल्याण उपकर के पड़े धन का उपयोग नियोक्ताओं को देने में किया जाएगा.

 

15000 से अधिक वेतन वाली महिलाओं के लिए सुविधा

राज्य सरकारों के पास पड़े श्रमिक कल्याण उपकर के पैसे का उपयोग बहुत कम हो रहा है. लेबर मिनिस्ट्री से बातचीत के बाद यह प्रस्‍ताव है कि 26 हफ्तों में से 7 हफ्ते के वेतन की राशि नियोक्ताओं को दी जाए. 15 हजार रुपये मासिक से अधिक वेतन पाने वाली महिलाओं के अवकाश के लिए सरकार की ओर से भुगतान किया जाएगा.

इसी साल सरकार ने मैटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया था. इस बदलाव के बाद ऐसी तमाम शिकायतें आईं कि मातृत्व अवकाश की मियाद बढ़ने की वजह से कई कंपनियों से महिलाओं को नौकरी से निकाला जा रहा है. पिछले दिनों यह भी रिपोर्ट आई थी कि मैटरनिटी लीव को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते किए जाने पर कंपनियां महिलाओं को नौकरी देने से कतरा रही हैं.