रोजगार के मामले में केंद्र सरकार कई अहम कदम उठाने जा रही है. यह पहली बार है जब आर्थिक सर्वेक्षण में रोजगार की स्थिति का आकलन किया जाएगा. रोजगार की सही स्थिति का पता लगाने के लिए आर्थिक सर्वेक्षण में बड़े पैमाने पर तैयारियां की गई हैं. रोजगार के आंकड़ों मे मोदी सरकार पहली बार रेहडी-पटरी वालों को भी शामिल करेगी. इसके अलावा सरकार का फोकस ग्रामीण इलाकों में ही रोजगार पैदा करने पर है ताकि गांवों से होने वाले पलायन को रोका जा सके. इसके लिए सरकार ग्राम समृद्धि योजना शुरू करने जा रही है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि अगले पांच साल में ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन उनकी शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है. उन्होंने बताया कि सरकार चाहती है कि किसानों के बच्चे रोजगार तलाशने वालों के बजाय नौकरी देने वाले बनें.

ग्राम समृद्धि योजना

हरसिमरत कौर ने कहा कि नई योजना ‘ग्राम समृद्धि योजना’ विश्वबैंक के सहयोग से तैयार की गयी है और इसे जल्दी ही लागू किया जाएगा. इस योजना का मकसद असंगठित फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र को लाभ पहुंचाना है.

फूड प्रोसेसिंग से बदलेंगे हालात

उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों पर हमारा जोर होगा, उसमें ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन शामिल होगा. उनका मंत्रालय किसानों को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में जाने और फसलों के मूल्यवर्द्धन के लिये जरूरी जानकारी के साथ उनकी मदद करेगा और बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराएगा. कृषि क्षेत्र में जो भी उपजता है, उसका मूल्य वर्द्धन होना चाहिए ताकि गांवों में रहने वाले बच्चे फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में आयें और रोजगार सृजन करने वाले बनें.

खाद्य प्रसंस्करण के लिये बुनियादी ढांच सृजन, खाद्यान्न बर्बादी कम करने तथा फसलों के मूल्य वर्द्धन पर उनके मंत्रालय का जोर होगा.

किसानों को मिलेग अनुदान

ग्राम समृद्धि योजना पायलट आधार पर तीन-चार राज्यों में शुरू की जाएगी. ग्राम समृद्धि योजना छाटे किसानों के लिये है. सरकार छोटे किसानों को उपज के मूल्यवर्द्धन या प्रसंस्करण या पैकेजिंग, संरक्षण, जूस बनाने समेत अन्य कार्यों को लेकर अनुदान देगी. जिन किसानों की परियोजना 10 लाख रुपये से नीचे है, उन्हें मशीन के लिये 50 प्रतिशत अनुदान मिलेगा. योजना के तहत 70,000 से 90,000 सूक्ष्म इकाइयां स्थापित करने की योजना है.

(इनपुट भाषा से)