रिपोर्ट : सुमित कुमार

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बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में काम कर रहे और 2012 से 2018 के बीच भर्ती करीब 50 हजार शिक्षकों (Teachers) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के उस फैसले को कैंसिल कर दिया है, जिसमें अदालत ने कहा था कि जिन शिक्षकों के ट्रेनिंग का नतीजा उनके टीईटी के नतीजा के बाद आया है, उनकी भर्ती मान्य नहीं है. 

सरकार का रुख साफ नहीं

दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 मई के अपने आदेश में बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा था कि जिन शिक्षकों के प्रशिक्षण का नतीजा उनके टीईटी रिजल्ट के बाद आया है, उनका चयन रद्द कर दें. हालांकि इस मसले पर अब तक यूपी या केंद्र सरकार ने अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है.

वर्तमान भर्ती पर पड़ता असर

हाईकोर्ट के आदेश की वजह 2012 के बाद प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई 72,825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती, सहायक अध्यापक व उर्दू भर्ती के अलावा उच्च प्राथमिक स्कूलों के लिए हुई विज्ञान व गणित विषय के 29334 सहायक अध्यापक भर्ती में चयनित शिक्षक प्रभावित हो रहे थी. एक अनुमान के मुताबिक ऐसे शिक्षकों की संख्या 50,000 से अधिक है, जिनका ट्रेनिंग का नतीजा टीईटी के बाद घोषित हुआ था. इस आदेश का असर मौजूदा वक्त में चल रहींं 68,500 सहायक अध्यापक भर्ती पर भी पड़ने वाला था.

शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से प्रभावित शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. चुने गए शिक्षकों का कहना था कि उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (UP-TET) के लिए 4 अक्तूबर 2011 और 15 मई 2013 को जारी सरकारी आदेश में इस बात का जिक्र नहीं था कि जिनके प्रशिक्षण का परिणाम टीईटी के बाद आएगा उन्हें टीईटी का सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा.