7वां वेतन आयोग : इन कर्मचारियों को मिली बड़ी जीत, दशहरे के बाद बढ़ेगी सैलरी
त्योहारों से पहले 7वें वेतन आयोग के तहत सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहे ओडिशा के शिक्षकों और कर्मचारियों को बड़ी जीत हासिल हुई है.
त्योहारों से पहले 7वें वेतन आयोग के तहत सैलरी बढ़ाने की मांग कर रहे ओडिशा के शिक्षकों और कर्मचारियों को बड़ी जीत हासिल हुई है. वे बीते 59 दिन से धरना-प्रदर्शन कर रहे थे. अब उन्होंने यह विरोध प्रदर्शन खत्म करने का फैसला किया है, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार की ओर से आश्वासन मिला है कि वे उनके वेतन बढ़ाने की मांग के लिए जल्द प्रयास शुरू करेंगे. इसके बाद शिक्षकों और कर्मचारियों ने प्रदर्शन 30 नवंबर 2018 तक टालने का फैसला किया.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे याचिका
राज्य के मुख्य सचिव ने प्रदर्शन कर रहे शिक्षकों और कर्मचारियों को शनिवार को बातचीत के लिए बुलाया था. बैठक में उच्चाधिकारियों ने कहा कि वे ब्लॉक ग्रांट सिस्टम को हटाने के लिए दिशा-निर्देश में बदलाव करेंगे. मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य का न्याय विभाग इस मामले पर गौर करेगा और जरूरी संशोधन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेगा. सुप्रीम कोर्ट में इस समय दशहरे की छुट्टियां चल रही हैं, जो 26 अक्टूबर के बाद खत्म होंगी. इसके बाद राज्य अपील करेगा. सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद राज्य में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का रास्ता साफ हो जाएगा. साथ ही पेंशन और अन्य सेवाओं में भी विस्तार का रास्ता खुल जाएगा.
दो माह से प्रदर्शन कर रहे थे राज्य कर्मचारी
स्कूल कॉलेज टीचर एंड इम्प्लाईज यूनाइटेड फोरम के अध्यक्ष पवित्र म्हाला ने बताया कि राज्य सरकार ने हमारों मांगों पर देर से गौर किया. मुख्य सचिव का आश्वासन मिलने के बाद हमने अपनी हड़ताल खत्म कर दी है. लेकिन राज्य सरकार ने हमारे साथ धोखा किया तो हम राज्यव्यापी प्रदर्शन करेंगे. ओडीशाटीवी ने फोरम के कन्वेनर गोलक नायक के हवाले से कहा कि ब्लॉक ग्रांट टीचर व कर्मचारी एक पुराने नियम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं. इससे एक काम का एक वेतन, पूर्ण भत्ता और कई अन्य सर्विस परिस्थितियों में सुधार होगा.
'नो वर्क नो पे' से नहीं डरे कर्मचारी
इन शिक्षकों व कर्मचारियों के लिए राज्य सरकार ने पहले एक फरमान जारी किया था. उसने 'नो वर्क नो पे' की नीति के तहत कहा था कि जो शिक्षक व कर्मचारी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं उनकी तनख्वाह काटी जाएगी. नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजेडी सरकार ने कर्मचारियों को इसके लिए खबरदार किया था.