7वां वेतन आयोग: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, जानें मोदी सरकार की क्या है प्लानिंग?
करीब 2 साल से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने का इंतजार कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है.
करीब 2 साल से सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने का इंतजार कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी राहत मिलने जा रही है. सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन देने की प्लानिंग शुरू कर दी है. उम्मीद की जा रही है कि अगले साल चुनाव से पहले सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ा ऐलान करेगी. हालांकि, सैलरी में कितना इजाफा होगा यह साफ नहीं है. लेकिन, उम्मीद की जा रही है कि केंद्रीय कर्मचारियों का लंबा इंतजार अगले साल खत्म हो जाएगा.
सरकार ने शुरू की प्लानिंग
साल 2019 में देश के आम चुनाव होने हैं. केंद्र की मोदी सरकार चुनाव से पहले लंबे समय से लंबित पड़े सातवें वेतन आयोग के मामले में फैसला कर सकती है. सरकार ने पिछले एक साल में सातवें वेतन आयोग को अपने एजेंडे में शामिल नहीं किया था. लेकिन, अब सरकार ने इसकी प्लानिंग शुरू कर दी है. हालांकि, यह अभी तय नहीं है कि सैलरी में कितना इजाफा होगा.
किन फैक्टर्स पर काम कर रही है मोदी सरकार
सरकारी खजाने और आने वाले दिनों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मोदी सरकार के पास पैसा जुटाने के विकल्प खुल सकते हैं. दरअसल, सरकार अपने वित्तीय बोझ को बढ़ाना नहीं चाहती. यही वजह है कि सरकार ने लंबे समय केंद्रीय कर्मचारियों की मांग को अनदेखा किया है. अब सरकार के पास वित्तीय स्थितियों को सुधारने विकल्प खुल रहे हैं. ऐसे में सरकार के पास गुंजाइश होगी कि वो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू कर सके.
पहला- कच्चा तेल में गिरावट
अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले कुछ दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है. आने वाले दिनों में भी यह गिरावट जारी रह सकती है. उम्मीद की जा रही है कि कच्चा तेल अगले साल तक 60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास जा सकता है. इससे भारत सरकार के पास अपने वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में मदद मिलेगी. दरअसल, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से सरकार का इंपोर्ट बिल कम होगा. मतलब यह कि सरकार विदेशों से सस्ती कीमतों पर सामान खरीद सकेगी. इससे सरकारी खजाने को वजन मिलेगा. इसका इस्तेमाल सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लिए किया जा सकता है.
दूसरा- रुपए में सुधार
कच्चे तेल की कीमतों में कटौती से रुपये में भी सुधार होगा और वह डॉलर के मुकाबले 68 के स्तर को छू सकता है. रुपया सस्ता होने से भी सरकार के वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी. इससे भी सरकार के पास अतिरिक्त खर्च के रास्ते खुलेंगे. कच्चे तेल की कीमतों पर लगाम से आने वाले दिनों में महंगाई के भी कम होने के आसार हैं. महंगाई कम होने से सरकार के पास गुंजाइश होगी कि वह अपने वित्तीय घाटे के लक्ष्य को आसानी से हासिल कर सके.
तीसरा- लौट रहे हैं विदेशी निवेशक
पिछले कुछ दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारत की तरफ रुख किया है. बाजार के विशेषज्ञों का मानना है कि विदेशी निवेशकों के लिए इस वक्त भारत में सेंटीमेंट्स अच्छे हैं. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैकिंग सुधरी है. इससे विदेशी निवेशकों के लिए भारत में बिजनेस करना आसान हुआ है. यही वजह है कि विदेशी निवेश पिछले एक महीने में बढ़ा है. आने वाले दिनों में शेयर बाजार भी अच्छा परफॉर्म करने की स्थिति में है. बाजार के लिए कोई नकारात्मक संकेत नहीं हैं. ऐसे में भी विदेश निवेशकों का भारत में बने रहने की संभावना है. विदेशी निवेश बढ़ने से सरकार के पास विनिवेश के लिए पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी.
केंद्रीय कर्मचारियों को मिलेगा तोहफा
वित्त मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो सरकार खजाने में पूंजी आने से केंद्रीय कर्मचारियों को वेतन वृद्धि का तोहफा मिल सकता है. लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक पे बढ़ाई जा सकती है. वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का दावा है कि सरकार फिटमेंट फैक्टर में भी बढ़ोतरी करेगी. इससे केंद्रीय कर्मचारियों की बेसिक पे 3000 रुपए तक बढ़ सकती है. फिटमेंट फैक्टर 2.57 गुना से बढ़ाकर 3 गुना किया जा सकता है. हालांकि, केंद्रीय कर्मचारियों की मांग है कि फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर 3.68 गुना किया जाए.
एरियर का फायदा नहीं
हालांकि, सूत्र बताते हैं कि सरकार अपने स्थितियों को देखते हुए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें तो लागू कर देगी. लेकिन, सैलरी और फिटमेंट फैक्टर के अलावा एरियर को नहीं बढ़ाया जाएगा. एरियर बढ़ाने से सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. वित्तीय सलाहकारों ने भी सरकार को एरियर नहीं बढ़ाने की सलाह दी है.
2016 में वेतन में हुई थी बढ़ोतरी
आपको बता दें, 2016 की शुरुआत में केंद्रीय कर्मियों के वेतन में लगभग 14 फीसदी की बढ़ोतरी सरकार ने की थी. हालांकि कर्मचारी इससे खुश नहीं थे. उन्होंने सरकार से मांग की थी कि न्यूनतम वेतन और फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जाए. यह मांग 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा हैं.